कोरोना लॉकडाउन में कई महिलाओं के लिए फरिशता बनकर उभरा उषा सिलाई स्कूल, जानें कैसे...
उषा सिलाई स्कूल देशभर में महिलाओं की मदद करने वाला एक बेहतरीन संस्थान बनकर उभरा है. कोरोना लॉकडाउन के दौरान इस स्कूल ने महिलाओं को काम तो दिया ही उन्हें इस संघर्ष के दौर में काफी हिम्मत भी दी. उषा सिलाई स्कूल के आज देशभर में 23265 संस्थान हैं, जिनमें करीब 6.7 लाख महिलाएं अपने स्किल्स का कमाल दिखा रही हैं. जानें इसके बारे में...
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मिलिए सुनीता देवी कुमावत से जो आज एक सिलाई हीरो हैं. सुनीता और उनके पति नाथु लाल कुमावत उषा सिलाई स्कूल में रोज काम करने के लिए पहुंचते हैं. सुनीता ने उषा सिलाई स्कूल में सिलाई सीखने के बाद अन्य महिलाओं को काम सिखाया.
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उषा सिलाई स्कूल ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान लाखों महिलाओं की मदद की. सुनीता व अन्य महिलाओं ने इस दौरान मास्क बनाने का काम शुरू किया. सुनीता ने इस दौरान अपने कौशल की मदद के करीब 1.3 लाख कमाए.
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देश में आज भी कोरोना के कारण कई परिवार ऐसे हैं, जो बिगड़े हुए हालातों का सामना कर रहे हैं, लेकिन सुनीता के सिलाई स्कूल में कई ऐसी महिलाएं काम कर रही हैं, जो इन हालातों में भी अपने परिवार की बेहतर मदद कर पा रही हैं.
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जो महिलाएं जो मास्क बनाने का काम करती हैं, वे मास्क के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फाइबर को पहले साफ और सैनिटाइज करने का काम करती हैं.
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सुनीता को मास्क बनाने का बड़ा ऑर्डर दिया गया और इसमें कुछ छात्र उनकी मदद करने के लिए भी पहुंचे.
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दिल्ली में ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन के स्टूडेंट्स भी कोरोना से लड़ाई के बीच मास्क बनाते हैं.
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कोरोना लॉकडाउन के कारण इस एसोसिएशन के स्टूडेंट्स अपने घर नहीं लौट पाएं और इस दौरान उन्होंने मास्क बनाकर कोरोना से जंग में साथ देने का फैसला किया.
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