SIDBI के संग महिलाओं की जिंदगी में नए अवसर उकेर रही है उषा सिलाई स्कूल
ग्रामीण महिलाओं की जिंदगियों में आशा की किरण लाने हेतु SIDBI ( स्मॉल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बैंक ऑफ़ इंडिया) ने अपनी 'मिशन स्वावलंबन' के तहत उषा सिलाई स्कूल के संग साझेदारी की है. इस साझेदारी के बाद 2450 उषा सिलाई स्कूल सेट किए जाएंगे. यह पूरा प्लान 3 चरणों में अलग-अलग गाँवों में किया जाएगा. आपको बता दें कि 'मिशन स्वावलंबन' का एक ही मकसद है और वो है कि नौकरी ढूंढने वालों की बजाए नौकरी बनाने वालों पर ध्यान दिया जाए.
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मिशन स्वावलंबन के तहत, हिमाचल प्रदेश के भूकंप संभावित क्षेत्रों, त्रिपुरा के बाढ़ संभावित क्षेत्रों जैसे आपदा संभावित क्षेत्रों में सिलाई स्कूल स्थापित किए गए हैं.
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सिडबी ने न केवल मिशन स्वावलंबन के माध्यम से, बल्कि ऑनलाइन उत्पाद बेचने के लिए COWE (महिला उद्यमियों का परिसंघ) मार्ट के साथ लिंकेज प्रदान करके भी समर्थन दिया है.
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हिमाचल प्रदेश में, सिलाई हीरो संदना देवी देशभर में उषा सिलाई स्कूल की पहल की टॉप-5 सबसे अधिक औसत मासिक आय अर्जित करने वाली महिलाओं में से एक है. वह औसत रु. 16,000 से रु. 31,000 प्रति माह कमाती है.
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इससे पहले कि वह अपना नाम कमा पाती, संदना देवी के जीवन में कई संघर्ष हुए. अपने संघर्षों के दौरान उन्होंने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन पंचायत के मुखिया के साथ उनकी मुलाकात ही उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. उन्होंने ने ही उन्हें उषा सिलाई स्कूल की पहल के बारें में बताया.
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एक आंट्रेप्रेनुर के रूप में साधना देवी ने जो सफलता हासिल की है, वह उषा और सिडबी की संयुक्त पहल को बहुत गौरवान्वित कर रही है.
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त्रिपुरा की गौरी देबनाथ, जिन्हें सिडबी द्वारा उनकी उद्यमिता सहायता योजना के तहत चुना गया था, उन्होंने इससे सिलाई मशीनें खरीदीं और बिजिनेस आगे बढ़ाया.
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अब आपको सुनाते है गौरी देबनाथ की कहानी उनको कई काम करने की आदत थी - सिलाई का काम करने से लेकर गुजारा करने तक, घर चलाने और अपने छोटे बेटे और बूढ़ी माँ की देखभाल करने तक,जनवरी 2014 में उषा सिलाई स्कूल परियोजना में उनके एक ट्रेनी के रूप में शामिल होने से उनके और उनके परिवार के लिए नई आशा आई.उनका कहना है कि आज वह जो कुछ भी कर पाई हैं वह उषा की वजह से हैं और यह उनके लिए गर्व की बात है.
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