संयुक्त राष्ट्र महिला भारत की प्रतिनिधि सुसान फर्ग्यूसन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 5 बातों से करवाया अवगत
इस वर्ष, महिला दिवस एक अनूठी थीम 'एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता' के साथ मनाया जा रहा है. टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया ने लगभग 30 वर्षों से महिलाओं और लिंग से संबंधित मुद्दों पर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र महिला भारत की प्रतिनिधि सुसान फर्ग्यूसन के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू कंडक्ट किया.
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दुनिया भर में, COVID-19 का भारी प्रभाव पड़ा है, कोरोना ने हमारे आर्थिक विकास को धीमा कर दिया है और ऐसे में सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर ही पड़ा हैं. महिलाएं अक्सर सबसे सुरक्षित स्थिति में नहीं होती हैं, इसलिए वे अपनी नौकरी खोने वाली पहली और उन्हें वापस पाने वाली आखिरी होती हैं.
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लैंगिक समानता न केवल मौलिक मानवाधिकार है, बल्कि एक स्थायी, शांतिपूर्ण दुनिया की एक बहुत ही आवश्यक नींव है और हमें इसकी हमेशा से कहीं अधिक आवश्यकता रही है.
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जलवायु परिवर्तन का महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि कई जगहों पर पुरुष और महिलाएं अलग-अलग जीवन जीते हैं.
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लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करना लगभग पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. विकासशील देशों में, यह हमेशा माना गया है कि लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए समान शिक्षा वास्तव में परिवर्तनकारी साबित होता है.
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महिलाओं की आबादी 50 फीसदी है, वे परिवर्तन और आर्थिक विकास के लिए एक ताकत हैं, जो वास्तव में किसी देश को उसके विकास में आगे लाने में मदद कर सकती हैं.
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