विश्व टीकाकरण सप्ताह के बारें में आप भी जानिए अहम बातें
अप्रैल के आखिरी हफ्ते में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विश्व में किए गए जरूरी कार्यों को दर्शाना और सभी उम्र के लोगों को अलग-अलग बीमारी से बचाने वाले रोधी टीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.
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डब्ल्यूएचओ टीकों और टीकाकरण के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ काम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकारें उच्च गुणवत्ता वाले टीकाकरण कार्यक्रमों को लागू करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता प्राप्त कर पाए.
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इस साल, विश्व टीकाकरण सप्ताह का थीम 'लॉन्ग लाइफ फॉर ऑल' रहा. अगर हम इसके अहम उद्देश्य की बात करें तो, विश्व टीकाकरण सप्ताह का एक ही सबसे बड़ा फोकस रहा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उन बीमारियों से बचाया जा सके जिनके रोधी-टीके मेडिकल इंडस्ट्री में पहले से मौजूद हैं.
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अब सवाल यह आता है कि टीका लगवाना क्यों जरूरी है? टीकों के बिना, सभी को गंभीर बीमारी और उन बीमारियों से विकलांगता का खतरा है. टीका लगवाने के दो प्रमुख कारण हैं, पहला-अपनी रक्षा करना और दूसरा-अपने आसपास के लोगों की रक्षा करना.
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जिन लोगों को क्रॉनिक यानी की परमानेंट बीमारी हैं या जिन लोगों को मेडिकल ट्रीटमेंट के कारण होने वाली इम्यून सिस्टम से जुड़ा कोई प्रभाव है उन्हें तो टीका नहीं लगाया जा सकता है. अब जिन लोगों का टीकाकरण नहीं किया जा सकता है, वे यह सुनिश्चित करें कि दूसरों का टीकाकरण हो ताकि वो भी बीमारियों से सेफ रह सकें.
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रोधी टीकों में एक विशेष तरह के जर्म के इनएक्टिव स्टेट वाले सैंपल होते हैं जो बॉडी में जाकर आपके इम्यून यानी प्रतिरक्षा को एक्टिव करते है. जब आपका इम्यून सिस्टम एक बार उस विशेष जर्म के संपर्क में आ जाता है तो, वो सेल्स उस जर्म के प्रति प्रतिरक्षा को स्टोर कर लेते है. ऐसे में जब अगली बार उस जर्म का अटैक दोबारा बॉडी में होता है तो उस जर्म को पहचानकर इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है. इसी एंटीबॉडी से बीमारी फैलाने वाले जर्म्स का सफाया हो जाता है.
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