ओलिंपिक में आज इतिहास रचने उतरेंगी पीवी सिंधु
बैडमिंटन सनसनी पीवी सिंधु ने भारत की गोल्ड मेडल की आस जगाई है। सिंधु ने सिल्वर मेडल तो पक्का कर लिया है, लेकिन ये दिल मांगे मोर...
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पीवी सिंधु ने ओलिंपिक इतिहास में बैडमिंटन फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय होने का गौरव हासिल कर लिया है। उन्होंने सेमीफाइनल में छठी रैंकिंग वाली जापान की नोजोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 से हराया.
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आज शाम उनका मुकाबला स्पेन की वर्ल्ड नंबर वन कैरोलिना मारिन से होगा.
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सेमीफाइनल मुकाबले में जीत के बाद सिंधु ने NDTV से बात करते हुए कहा कि मेरा लक्ष्य ओलिंपिक में गोल्ड जीतना है और इसके लिए जीजान लगा दूंगी.
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पुसारला वेंकट सिंधु यानी पीवी सिंधु को खेल अपने माता-पिता से विरासत में मिला. उनके पिता पीवी रमन्नाऔर मां पी. विजया दोनों वालीबॉल के खिलाड़ी रहे हैं. पिता रामन्ना खेलों में अपने योगदान के लिए बेटी की तरह अर्जुन अवार्ड भी जीत चुके हैं.
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आठ साल की कच्ची उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू करने वाली सिंधु के करियर में बड़ा मोड़ तब आया जब वे गोपीचंद की बैडमिंटन एकेडमी से जुड़ीं. यहां से सिंधु की कामयाबी का ग्राफ चढ़ता गया. सब जूनियर और जूनियर लेवल पर उन्होंने कई खिताब अपने नाम किए.
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सिंधु साउथ एशियन गेम्स, एशियाड, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे हर बड़े इवेंट में मेडल जीत चुकी हैं. वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में तो उन्होंने दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीतने की उपलब्धि हासिल की है. इन तमाम उपलब्धियों के बाद सिंधु के घर के 'शोकेस' में कमी थी तो केवल ओलिंपिक मेडल की, जिसे उन्होंने गुरुवार के अपने प्रदर्शन से हासिल कर लिया.
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