अलविदा मनमोहन : वो शख्सियत जो खुद लैंप में पढ़ा, भारत को नया आकार देकर कर गया 'रोशन'
सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव वाले मनमोहन सिंह भारत में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले शीर्ष अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री के तौर पर लगातार दो बार गठबंधन सरकार चलाने वाले कांग्रेस के पहले नेता के तौर पर याद किए जाएंगे.
-
सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव वाले मनमोहन सिंह भारत में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले शीर्ष अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री के तौर पर लगातार दो बार गठबंधन सरकार चलाने वाले कांग्रेस के पहले नेता के तौर पर याद किए जाएंगे. 92 साल की उम्र में उनका बृहस्पतिवार को निधन हो गया. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई)
-
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र के 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे सिंह को दुनिया भर में उनकी आर्थिक विद्वता तथा कार्यों के लिए सम्मान दिया जाता था. उन्होंने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में वर्ष 2004 से 2014 तक 10 वर्षों तक देश का नेतृत्व किया. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई)
-
कभी अपने गांव में मिट्टी के तेल से जलने वाले लैंप की रोशनी में पढ़ाई करने वाले सिंह आगे चलकर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद बने. सिंह की 1990 के दशक की शुरुआत में भारत को उदारीकरण की राह पर लाने के लिए सराहना की गई, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों पर आंखें मूंद लेने के लिए भी उनकी आलोचना की गई. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई)
-
अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे सिंह ने 1948 में पंजाब में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से ब्रिटेन के कैंब्रिज तक ले गया जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की. सिंह ने इसके बाद 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में 'डी.फिल' की उपाधि प्राप्त की. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई)
-
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित 'दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' के संकाय में अध्यापन से की. उन्होंने 'यूएनसीटीएडी' सचिवालय में भी कुछ समय तक काम किया और बाद में 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में 'साउथ कमीशन' के महासचिव बने. (फोटो क्रेडिट: आईएएनएस)
-
वर्ष 1971 में सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए. इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई. उन्होंने जिन कई सरकारी पदों पर काम किया उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव; योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शाामिल हैं. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई)
-
उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 1991 में नरसिंह राव सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में सिंह की नियुक्ति था. आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है. (फोटो क्रेडिट: आईएएनएस)
-
मनमोहन सिंह ने जुलाई, 1991 के बजट में अपने प्रसिद्ध भाषण में कहा था,"पृथ्वी पर कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है. मैं इस प्रतिष्ठित सदन को सुझाव देता हूं कि भारत का दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उदय होना चाहिए, यह एक ऐसा ही एक विचार है." (फोटो क्रेडिट: आईएएनएस)
-
-
बाद में सिंह को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व करने के लिए चुना गया जब सोनिया गांधी ने इस भूमिका को संभालने से इनकार किया और अपनी जगह उनका चयन किया. उन्होंने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई, 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभाला. उनका राजनीतिक करियर 1991 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में शुरू हुआ, जहां वह 1998 से 2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे. उन्होंने इस साल (3 अप्रैल) को राज्यसभा में अपनी 33 साल लंबी संसदीय पारी समाप्त की. (फोटो क्रेडिट: आईएएनएस)
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement