महिलाओं में नई आजीविका के अवसर पैदा कर रहा है ऊषा सिलाई स्कूल...
कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को उनके संघर्षों को दूर करने में मदद करने के उद्देश्य से, USHA सिलाई स्कूल ने NEEPCO और बिजली उत्पादन कंपनी डालमिया भारत फाउंडेशन के साथ भागीदारी की.
-
NEEPCO और USHA ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसरों के निर्माण के लिए देश के उत्तर पूर्व क्षेत्र से हाथ मिलाया. अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, NEEPCO ने सिलाई की विभिन्न तकनीकों में कौशल को विकसित करके कई महिलाओं की मदद की है और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है.
-
असम के डिब्रूगढ़ जिले में एक 45 वर्षीय निवासी रेखामोनी बोरा एनईईपीसीओ-यूएसएचए साझेदारी के लाभार्थियों में से एक है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'हमारे परिवार में 5 सदस्य हैं, जो पूरी तरह से आजीविका के लिए खेती पर निर्भर थे. लेकिन खेती में हमने बहुत संघर्ष किया. मुझे आशा की एक किरण मिली जब मुझे USHA सिलाई स्कूल कार्यक्रम के लिए चुना गया. यह पाठ्यक्रम बहुत मददगार था और अब मैं मूक-बधिर स्कूल में सीखे कौशल की मदद से घरेलू आय में योगदान दे रही हूं'
-
बोरा, जो अपने पति, दो बच्चों और सास के साथ रहती हैं, अब वह पैसे कमाने में सक्षम हैं. वह औसतन 3500 प्रतिमाह कमा लेती हैं. वह अब अपनी बेटी को भी अपना हुनर सीखा रही हैं.
-
डिब्रूगढ़ जिले की महिलाओं के साथ, USHA सिलाई स्कूल भी असम के मोरीगांव जिले में महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहा है. मोरीगांव में, USHA ने डालिमा भारत फाउंडेशन के साथ भागीदारी की थी. इस साझेदारी का उद्देश्य जिले भर में 20 सिलाई स्कूल खोलना है.
-
डालमिया-यूएसएचए सहयोग से लाभान्वित बीनू डेका डोलोई ने मार्च 2018 में अपना स्वयं का सिलाई स्कूल खोला. इससे डोलोई का जीवन बदल गया है, जिन्होंने एक किसान से शादी की थी. बीनू कहती हैं, 'खेती आय का एक निश्चित, स्थिर स्रोत नहीं है. हमारे पास जो क्षेत्र है उसमें बाढ़ और शुष्क मौसम रहता है. बेहद आर्द्र और शुष्क मौसम के चलते फसले खराब हो जाती हैं, जिसके कारण हम अपना जीवन सुचारू रूप से नहीं चला पाते. परिवार को खिलाना और मेरी बेटी की स्कूल फीस का भुगतान करना मुश्किल हो जाता है.'
-
पूर्वोत्तर में असम की महिलाओं के कौशल को विकसित करने के बाद, USHA सिलाई स्कूल ने पश्चिमी प्रायद्वीपीय क्षेत्र के महाराष्ट्र में कदम रखा. महाराष्ट्र में, USHA ने अल्फा लावल के साथ मिलकर पुणे जिले के वेलवंद गांव की महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र शुरू किया.
-
यह प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र आजीविका का स्रोत बन गया है और इस सुदूर गांव की महिलाओं के लिए आशाएं लेकर आया है. USHA सिलाई स्कूल की पहल से पहले उनके पास आजीविका का कोई अन्य स्रोत नहीं था.
-
इस केंद्र में महिलाओं को स्कूलों और निगमों के लिए वर्दी के साथ-साथ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए कपड़े सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है.
Advertisement
Advertisement
Advertisement