COVID वारियर्स: मुंबई के एक डॉक्टर दंपत्ति की उपयोग न की जाने वाली COVID-19 दवाएं एकत्र करने की पहल

The second wave of the COVID-19 pandemic has affected almost everyone in one way or the other. As the second wave intensified and the number of people seeking help increased, a doctor couple from Mumbai - Dr Marcus Ranney and Dr Raina Ranney - decided to extend a helping hand by providing medicines to people. Together they started Meds For More, a citizen-led initiative to collect unused or leftover and unexpired medicines from COVID recovered patients and provide them to those in need. Here's how they have collected over 500 kgs of medicines.

  • 'मेड फॉर मोर' के पीछे के विचार को याद करते हुए डॉ. मार्कस रैने ने कहा, '1 मई को, हमारे घरेलू कर्मचारी के बेटे को COVID-19 का पता चला था और उसने हमसे कहा कि क्या वह रिपोर्ट ला सकता है. उनका इंतजार करते हुए, मैं बस अपनी पत्नी से बात कर रहा था कि आप जानते हैं कि इनमें से कुछ दवाएं फैबीफ्लू की तरह वास्तव में महंगी हैं, तो हम क्या मदद कर सकते हैं?',
    'मेड फॉर मोर' के पीछे के विचार को याद करते हुए डॉ. मार्कस रैने ने कहा, '1 मई को, हमारे घरेलू कर्मचारी के बेटे को COVID-19 का पता चला था और उसने हमसे कहा कि क्या वह रिपोर्ट ला सकता है. उनका इंतजार करते हुए, मैं बस अपनी पत्नी से बात कर रहा था कि आप जानते हैं कि इनमें से कुछ दवाएं फैबीफ्लू की तरह वास्तव में महंगी हैं, तो हम क्या मदद कर सकते हैं?',
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  • जब दंपति COVID-19 के दौरान लोगों की मदद करने के तरीकों के बारे में सोच रहे थे, तब डॉ. मार्कस रैने ने महसूस किया कि अपने अपार्टमेंट भवन, टैरेस में, वह COVID-19 के लिए तीन लोगों का इलाज कर रहे थे और वे हाल ही में अपने क्वारंटीन से से बाहर आए थे.
    जब दंपति COVID-19 के दौरान लोगों की मदद करने के तरीकों के बारे में सोच रहे थे, तब डॉ. मार्कस रैने ने महसूस किया कि अपने अपार्टमेंट भवन, टैरेस में, वह COVID-19 के लिए तीन लोगों का इलाज कर रहे थे और वे हाल ही में अपने क्वारंटीन से से बाहर आए थे.
  • इसके तुरंत बाद, डॉ. रन्नी ने अपने बिल्डिंग ग्रुप पर एक मैसेज किया, जिसमें लोगों से किसी भी बचे हुए दवा के साथ इसे अपने घर भेजने के लिए कहा गया, ताकि वे इसे उन लोगों को ये दवाएं प्रदान कर सकें, जो उन्हें खरदी नहीं कर सकते हैं या जिन तक ये दवाएं पहुंच नहीं रही हैं.
    इसके तुरंत बाद, डॉ. रन्नी ने अपने बिल्डिंग ग्रुप पर एक मैसेज किया, जिसमें लोगों से किसी भी बचे हुए दवा के साथ इसे अपने घर भेजने के लिए कहा गया, ताकि वे इसे उन लोगों को ये दवाएं प्रदान कर सकें, जो उन्हें खरदी नहीं कर सकते हैं या जिन तक ये दवाएं पहुंच नहीं रही हैं.
  • डॉ. रन्नी ने कहा, 'और इस तरह हमने देखा कि अगर एक इमारत एक जीवन बचाने में मदद करने के लिए एक साथ आ सकती है, तो जरा सोचिए कि एक इलाका क्या कर सकता है, एक शहर क्या कर सकता है, या अब जरूरत है, एक देश क्या कर सकता है',
    डॉ. रन्नी ने कहा, 'और इस तरह हमने देखा कि अगर एक इमारत एक जीवन बचाने में मदद करने के लिए एक साथ आ सकती है, तो जरा सोचिए कि एक इलाका क्या कर सकता है, एक शहर क्या कर सकता है, या अब जरूरत है, एक देश क्या कर सकता है',
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  • मुंबई में एक आवासीय सोसायटी से शुरू हुई यह पहल अब पूरे भारत के 10 अन्य शहरों में पहुंच चुकी है. रैना रैने ने कहा कि हमारा मकसद उन शहरों से दवाएं एकत्र करना है जहां आसानी से ये पहुंच जाती हैं और फिर इन दवाओं को उन ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है जहां ये आसानी से नहीं पहुंच पातीं.
    मुंबई में एक आवासीय सोसायटी से शुरू हुई यह पहल अब पूरे भारत के 10 अन्य शहरों में पहुंच चुकी है. रैना रैने ने कहा कि हमारा मकसद उन शहरों से दवाएं एकत्र करना है जहां आसानी से ये पहुंच जाती हैं और फिर इन दवाओं को उन ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है जहां ये आसानी से नहीं पहुंच पातीं.
  • एकत्र की जा रही दवाओं में पेन किलर्स, बुखार, स्टेरॉयड, फैबीफ्लू, एंटी-वायरल से लेकर एंटी-एलर्जी तक सब कुछ शामिल है. एकत्रित दवाओं की जांच की जाती है, उन्हें अलग किया जाता है और एनजीओ के भागीदारों के लिए पैक किया जाता है. वहां से, दवाएं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में धर्मार्थ ट्रस्टों या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अंततः जरूरतमंद लोगों तक पहुंचती हैं.
    एकत्र की जा रही दवाओं में पेन किलर्स, बुखार, स्टेरॉयड, फैबीफ्लू, एंटी-वायरल से लेकर एंटी-एलर्जी तक सब कुछ शामिल है. एकत्रित दवाओं की जांच की जाती है, उन्हें अलग किया जाता है और एनजीओ के भागीदारों के लिए पैक किया जाता है. वहां से, दवाएं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में धर्मार्थ ट्रस्टों या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अंततः जरूरतमंद लोगों तक पहुंचती हैं.
  • इस पहल का हिस्सा बनने के इच्छुक व्यक्ति या तो दवाएं दान कर सकते हैं या इस विशेष पहल के लिए दवाएं एकत्र करने के लिए एक राजदूत बन सकते हैं. कोई भी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से दवाओं को घर से ले जाने के लिए अनुरोध कर सकता है.
    इस पहल का हिस्सा बनने के इच्छुक व्यक्ति या तो दवाएं दान कर सकते हैं या इस विशेष पहल के लिए दवाएं एकत्र करने के लिए एक राजदूत बन सकते हैं. कोई भी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से दवाओं को घर से ले जाने के लिए अनुरोध कर सकता है.
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  • यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है, इस बारे में बात करते हुए, मुंबई की मलिन बस्तियों में फ्रंटलाइन स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले डॉ. मार्कस रैने ने महामारी की पहली लहर के दौरान कहा, 'मुझे पहली बार उन चुनौतियों को देखने को मिला, जो इस वायरस का प्रभाव कई तरह से पड़ता है. लोगों के जीवन पर उनके स्वास्थ्य पर इससे प्रभाव तो पड़ता ही है, बल्कि दवाओं की लागत से आजीविका पर भी असर आता है.'
    यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है, इस बारे में बात करते हुए, मुंबई की मलिन बस्तियों में फ्रंटलाइन स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले डॉ. मार्कस रैने ने महामारी की पहली लहर के दौरान कहा, 'मुझे पहली बार उन चुनौतियों को देखने को मिला, जो इस वायरस का प्रभाव कई तरह से पड़ता है. लोगों के जीवन पर उनके स्वास्थ्य पर इससे प्रभाव तो पड़ता ही है, बल्कि दवाओं की लागत से आजीविका पर भी असर आता है.'
  • जाते-जाते दंपति ने नई दवाएं नहीं खरीदने और केवल अप्रयुक्त दवाओं को दान करने का आग्रह किया. डॉ. रैने ने कहा, 'इससे कचरे को कम करने और प्रभाव पैदा करने में मदद मिलेगी.
    जाते-जाते दंपति ने नई दवाएं नहीं खरीदने और केवल अप्रयुक्त दवाओं को दान करने का आग्रह किया. डॉ. रैने ने कहा, 'इससे कचरे को कम करने और प्रभाव पैदा करने में मदद मिलेगी.