कंजंक्टिवाइटिस: 'पिंक आई' के कारण, ट्रीटमेंट और रोकथाम पर एक नज़र

एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया ने शार्प साइट आई हॉस्पिटल्स के आई स्‍पेशलिस्‍ट, डायरेक्‍टर और को-फाउंडर डॉ. कमल बी कपूर से बात की. और जाना कि किसी को कंजंक्टिवाइटिस कैसे होता है, जिसे आमतौर पर "पिंक आई" के नाम से भी जाना जाता है, इस इंफेक्‍शन के फैलने में मौसम की क्या भूमिका होती है. और इसका ट्रीटमेंट क्‍या होता है.

  • भारत में, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में, कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, कई डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यह 'अत्यधिक संक्रामक' है और इसके प्रचार को रोकने के लिए प्रॉपर हाइजीन बिहेवियर बनाए रखने की जरूरत है.
    भारत में, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में, कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, कई डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यह 'अत्यधिक संक्रामक' है और इसके प्रचार को रोकने के लिए प्रॉपर हाइजीन बिहेवियर बनाए रखने की जरूरत है.
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  • कंजंक्टिवाइटिस का मतलब आंख की बाहरी परत में सूजन होना है. यह या तो बैक्टीरियल इंफेक्‍शन, वायरल इंफेक्‍शन और कुछ मामलों में एलर्जी इंफेक्‍शन के कारण हो सकता है. यह संपर्क से फैलता है, संक्रमित आंख देखने से नहीं.
    कंजंक्टिवाइटिस का मतलब आंख की बाहरी परत में सूजन होना है. यह या तो बैक्टीरियल इंफेक्‍शन, वायरल इंफेक्‍शन और कुछ मामलों में एलर्जी इंफेक्‍शन के कारण हो सकता है. यह संपर्क से फैलता है, संक्रमित आंख देखने से नहीं.
  • डॉ. कपूर ने बताया कि मानसून में ओवरफ्लो और बाढ़ से नल का पानी दूषित हो जाती है. जब यह आंखों के संपर्क में आता है तो इंफेक्‍शन होने का खतरा बढ़ जाता है.
    डॉ. कपूर ने बताया कि मानसून में ओवरफ्लो और बाढ़ से नल का पानी दूषित हो जाती है. जब यह आंखों के संपर्क में आता है तो इंफेक्‍शन होने का खतरा बढ़ जाता है.
  • दूषित पानी के आंखों के संपर्क में आने का एक अन्य तरीका यह है कि जब सड़कें पानी से भर जाती हैं और इसपर से गुजरने वाले वाहनों के टायर पानी की पतली बूंदों को सोख लेते हैं, जिसे एरोसोलिंग कहा जाता है. डॉ. कपूर ने बताया कि ये गंदे पानी की बूंदें आंखों को भी संक्रमित कर सकती हैं.
    दूषित पानी के आंखों के संपर्क में आने का एक अन्य तरीका यह है कि जब सड़कें पानी से भर जाती हैं और इसपर से गुजरने वाले वाहनों के टायर पानी की पतली बूंदों को सोख लेते हैं, जिसे एरोसोलिंग कहा जाता है. डॉ. कपूर ने बताया कि ये गंदे पानी की बूंदें आंखों को भी संक्रमित कर सकती हैं.
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  • इसके लक्षण हल्के, मध्यम से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जिसमें आंख के सफेद हिस्से की सूजन, जिसे 'पिंक आई' या 'रेड आई' भी कहा जाता है, आंख से पानी आना शामिल है.
    इसके लक्षण हल्के, मध्यम से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जिसमें आंख के सफेद हिस्से की सूजन, जिसे 'पिंक आई' या 'रेड आई' भी कहा जाता है, आंख से पानी आना शामिल है.
  • गंभीर मामलों में, इंफेक्शन के कारण सही से दिखाई नहीं देने की शिकायत भी हो सकती है. लक्षण अलग-अलग मरीज़ों में कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं.
    गंभीर मामलों में, इंफेक्शन के कारण सही से दिखाई नहीं देने की शिकायत भी हो सकती है. लक्षण अलग-अलग मरीज़ों में कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं.
  • कंजंक्टिवाइटिस के ट्रीटमेंट में आई स्पेशलिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित आई ड्रॉप का उपयोग शामिल है. आवश्यक मात्रा में आई ड्रॉप डालना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रिकवरी प्रोसेस को प्रभावित करता है. संक्रमित व्यक्ति को दिन में चार से पांच बार साफ उबले ठंडे पानी या फिल्टर पानी से आंखों को धोना चाहिए.
    कंजंक्टिवाइटिस के ट्रीटमेंट में आई स्पेशलिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा निर्धारित आई ड्रॉप का उपयोग शामिल है. आवश्यक मात्रा में आई ड्रॉप डालना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रिकवरी प्रोसेस को प्रभावित करता है. संक्रमित व्यक्ति को दिन में चार से पांच बार साफ उबले ठंडे पानी या फिल्टर पानी से आंखों को धोना चाहिए.
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  • मॉनसून के मौसम में लोगों को आंखों को छूने से बचना चाहिए और दिन में बार-बार हाथों को साफ करना चाहिए. आंखों पर छींटे मारने के लिए नल के पानी के बजाय फ़िल्टर किए गए पानी का उपयोग करने से भी संभावित संक्रमण को रोका जा सकता है. संक्रमित व्यक्ति के साथ तौलिए, रूमाल या अन्य पर्सनल सामान शेयर करने से बचना चाहिए.
    मॉनसून के मौसम में लोगों को आंखों को छूने से बचना चाहिए और दिन में बार-बार हाथों को साफ करना चाहिए. आंखों पर छींटे मारने के लिए नल के पानी के बजाय फ़िल्टर किए गए पानी का उपयोग करने से भी संभावित संक्रमण को रोका जा सकता है. संक्रमित व्यक्ति के साथ तौलिए, रूमाल या अन्य पर्सनल सामान शेयर करने से बचना चाहिए.