भारत की पहली महिला बाउंसर हैं मेहरुन्निसा शौकत अली
मेहरुन्निसा शौकत अली उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली हैं. वह लगभग दो दशक पहले भारत में पहली महिला बाउंसर बनीं और अब मेहरुन्निशा मर्दानी बाउंसर एंड डॉल्फिन सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक अपनी कंपनी चला रही हैं.
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मेहरुन्निसा दिल्ली के हौज खास गांव के एक मशहूर कैफे ‘सोशल' में काम करती हैं और वहीं पर्सनल इवेंट्स और बॉलीवुड सितारों समेत मशहूर हस्तियों को सिक्योरिटी भी देती हैं. वह महिलाओं की सुरक्षा करने के साथ-साथ वहां के झगड़ों को निपटाने और अवैध ड्रग्स का सफाया करने में भी माहिर हैं.
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सहारनपुर में एक बड़े मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी, मेहरुन्निसा ने सेना में शामिल होने या पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखा था, लेकिन रूढ़िवादी सोच रखने वाले उनके पिता उन्हें शिक्षा देने या उन्हें बाहर जाकर काम करने देने का विरोध करते थे.
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हमेशा से पुलिस अफसर बनने की चाहत रखने वाली मेहरुन्निसा ने एनसीसी कैडेट के तौर पर दाखिला लिया, कराटे सीखा और पुलिस में नौकरी पाने की उम्मीद में अपनी फिटनेस पर काम किया. उन्होंने दिल्ली में महिला बाउंसर की ओपनिंग के बारे में सुना और इसके लिए अप्लाई भी किया.
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मेहरुन्निसा के लिए अपने परिवार को अपने काम के बारे में समझाना मुश्किल था क्योंकि वह भी सोचते थे कि बाउंसर होने का काम ऐसा काम नहीं है जो लड़कियों को करना चाहिए. वैसे तो उनकी शादी 12 साल की उम्र में ही हो जाती लेकिन किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंजूर था. उन्हें टाइफाइड हो गया था, जिसकी वजह से उन्हें अपना कुछ समय बिस्तर पर रहकर ही बिताना पड़ा. अपनी बीमारी के बाद, वह अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने लगीं.
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मेहरुन्निसा के लिए बाउंसर बनना भी सम्मान की बात है. वह कहती हैं कि वह जो करती हैं उस पर गर्व महसूस करती हैं और अन्य महिलाओं को भी इस क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. वह अब दो पार्टनर्स के साथ मिलकर 'मर्दानी बाउंसर' और 'डॉल्फिन सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड' नामक अपनी कंपनी चला रही हैं. हालिया समय में, उनकी सुरक्षा सेवा के ज़रिए 2,500 से अधिक लड़कियों और लड़कों को नियुक्त किया गया है.
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