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- रोहतास जिले के बारहखन्ना गांव की फूलकुमारी ने पेश की मिसाल
- सास और पति ने जेवर गिरवी रखने से रोका, पर बाद में मान गए
- शौचालय के चाहिए थे 12 हजार, जेवर गिरवी रख कर मिले 9 हजार
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सासाराम:
बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज की बारहखन्ना गांव की एक महिला ने अपने घर में शौचालय बनाने के लिए अपने सभी गहने गिरवी रख एक मिसाल पेश की है।
संझौली प्रखंड की उदयपुर पंचायत के बारहखन्ना गांव की रहने वाली फूलकुमारी पैसे के अभाव के कारण घर में शौचालय नहीं बनवा पा रही थी। उसने मदद के लिए कई बार सरकारी अधिकारियों से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आखिरकार फूलकुमारी ने शौचालय निर्माण के लिए मंगलसूत्र, नथिया, पायल, बाली सब गिरवी रख दिए। शौचालय बनवाने में करीब 12 हजार रुपये का खर्च आ रहा है, जबकि जेवर गिरवी रखने के बाद उसे नौ हजार रुपये ही प्राप्त हुए। बकौल फूलकुमारी, बाकी रकम वह मजदूरी कर इकट्ठा कर लेगी।
फूलकुमारी कहती हैं कि पहले तो सास और पति ने जेवर गिरवी रखने से रोका, लेकिन बाद में वे भी इसके लिए राजी हो गए। फूलकुमारी का कहना है, 'उम्मीद है 15 अगस्त से पहले शौचालय बन जाएगा। घर में लाख गहने हों और शौचालय नहीं हो तो इन गहनों का कोई मूल्य नहीं। अपनी इज्जत का ख्याल रखते हुए शौचालय बनवाना जरूरी था।'
वह कहती हैं कि मजदूरी कर कुछ दिनों में वह जेवर तो छुड़ा लेंगी, लेकिन गई प्रतिष्ठा तो वापस नहीं आएगी।
विक्रमगंज के अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार ने शनिवार को कहा कि जिला प्रशासन के 'मिशन प्रतिष्ठा' को सफल बनाने में फूलकुमारी के जज्बे ने मिसाल पेश किया है। अनुमंडल प्रशासन की ओर से फूलकुमारी को पुरस्कृत किया जाएगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
संझौली प्रखंड की उदयपुर पंचायत के बारहखन्ना गांव की रहने वाली फूलकुमारी पैसे के अभाव के कारण घर में शौचालय नहीं बनवा पा रही थी। उसने मदद के लिए कई बार सरकारी अधिकारियों से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आखिरकार फूलकुमारी ने शौचालय निर्माण के लिए मंगलसूत्र, नथिया, पायल, बाली सब गिरवी रख दिए। शौचालय बनवाने में करीब 12 हजार रुपये का खर्च आ रहा है, जबकि जेवर गिरवी रखने के बाद उसे नौ हजार रुपये ही प्राप्त हुए। बकौल फूलकुमारी, बाकी रकम वह मजदूरी कर इकट्ठा कर लेगी।
फूलकुमारी कहती हैं कि पहले तो सास और पति ने जेवर गिरवी रखने से रोका, लेकिन बाद में वे भी इसके लिए राजी हो गए। फूलकुमारी का कहना है, 'उम्मीद है 15 अगस्त से पहले शौचालय बन जाएगा। घर में लाख गहने हों और शौचालय नहीं हो तो इन गहनों का कोई मूल्य नहीं। अपनी इज्जत का ख्याल रखते हुए शौचालय बनवाना जरूरी था।'
वह कहती हैं कि मजदूरी कर कुछ दिनों में वह जेवर तो छुड़ा लेंगी, लेकिन गई प्रतिष्ठा तो वापस नहीं आएगी।
विक्रमगंज के अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार ने शनिवार को कहा कि जिला प्रशासन के 'मिशन प्रतिष्ठा' को सफल बनाने में फूलकुमारी के जज्बे ने मिसाल पेश किया है। अनुमंडल प्रशासन की ओर से फूलकुमारी को पुरस्कृत किया जाएगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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