Vinesh Phogat: शेरनी दंगल की ! 9 साल की उम्र में पिता को खोया, चोट के कारण खत्म माना जा रहा था करियर, धाकड़ गर्ल विनेश फोगाट की कहानी

Vinesh Phogat, Wrestling: विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया है. फोगाट ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला रेसलर बनी है.

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Vinesh Phogat, Paris Olympics 2024: हरियाणा की धाकड़ गर्ल विनेश फोगाट

Vinesh Phogat: The Warrior Princess | Paris Olympics 2024: ओलंपिक पदक पक्का करने का अपना सपना पूरा करने से महीनो पहले विनेश फोगाट व्यवस्था से नाराज थी लेकिन धमकी, पुलिस हिरासत, प्रदर्शन की अगुवाई करने को लेकर हुई आलोचना भी उनका हौसला डिगा नहीं सकी. कुश्ती को लड़कों का खेल मानने वाले गांव के लोगों के विरोध का सामना करने से लेकर नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता को खोने, से लेकर विनेश ने कई चुनौतियों का सामना किया. हरियाणा की इस धाकड़ का पेरिस तक का सफर आसान नहीं रहा और बहुत कुछ दांव पर था. उसने हालात के आगे घुटने टेकने की बजाय लड़ने का रास्ता चुना और इतिहास रच डाला.

ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला

मैट के ऊपर और उससे बाहर उन्होंने जिस तरह से चुनौतियों का सामना किया, वह एक नजीर बनकर उभरी हैं. जो कुछ हुआ, उसे लेकर अवसाद में जाने की बजाय उन्होंने डटकर सामना किया और जीवट तथा जुझारूपन की नयी कहानी लिखते हुए ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई.

उस पूरे दौर में विनेश को अटल विश्वास था कि उनकी लड़ाई सही है. इसके बाद उन्होंने पेरिस ओलंपिक का टिकट कटाने पर फोकस किया जो एक नया चुनौती थी. उन्हें 53 किलो की बजाय 50 किलो में उतरना पड़ा. ओलंपिक क्वालीफायर से पहले कई ट्रायल मुकाबले हुए और इस बीच उन्हें घुटने की सर्जरी भी करानी पड़ी. रियो ओलंपिक में एसीएल चोट के कारण उनका कैरियर एक बार लगभग खत्म ही माना जा रहा था.

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भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन की अगुवाई की थी, जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना हुई. मामला पुलिस तक, अदालत तक पहुंचा. आलोचकों ने विनेश का बोरिया बिस्तर बांध ही दिया था कि कुछ दिन बाद 30 बरस की होने जा रही विनेश पीछे हटने वालों में से नहीं थी.

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ट्रायल से ही हुई चुनौतियों की शुरूआत

चुनौतियों की शुरूआत ट्रायल से ही हो गई जब उन्हें अधिकारियों को राजी करना पड़ा कि उन्हें दो भारवर्गों में उतरने दिया जाये और फिर 50 किलो में उनका चयन हुआ. इस बीच यह अफवाह भी फैली कि उन्होंने डोप टेस्ट से बचने की कोशिश की. पेरिस में पहले दौर का मुकाबला मौजूदा चैम्पियन से था लेकिन युइ सुसाकी के रसूख से डरे बिना विनेश ने उन्हें उनके कैरियर की पहली हार की ओर धकेला. इसके बाद यूक्रेन की ओकसाना लिवाच को हराया. सेमीफाइनल में जीत दर्ज करके उन्होंने फाइनल में जगह बनाई.

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टोक्यों ओलंपिक में लगी थी गंभीर चोट

विनेश फोगाट का सफर कठिनाइयों से भरा रहा है, साल 2016 के रियो ओलंपिक में एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL) में चोट गंभीर थी जिसके कारण उनका करियर लगभग खत्म होने के कगार पर था. हालांकि, उनके अटूट उत्साह ने उन्हें पहले से कहीं ज्यादा मजबूत किया और उन्होंने जज्बा दिखाकर वापसी की. . विवाद के बाद भी फोगाट ने ओलंपिक से पहले अपनी पूरी फिटनेस हासिल की, कई भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा की और अंततः पेरिस ओलंपिक के लिए अपना कोटा अर्जित किया. 

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विनेश फोगट की उपलब्धियां 

विनेश फोगट ने भारतीय कुश्ती में लगातार इतिहास रचा है.वह राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों दोनों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर हैं. इसके अलावा उन्होंने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कई पदक जीते हैं, उनके पिता राजपाल फोगट और उनकी चचेरी बहनें गीता और बबीता फोगाट ने भारतीय कुश्ती में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. फोगाट परिवार की कहानी, जिसने बॉलीवुड फिल्म 'दंगल' को प्रेरित किया, सामाजिक मानदंडों को तोड़ने और कुश्ती में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है.

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