Tokyo Olympics 2020: गोपीचंद अकादमी छोड़ना मेरा सर्वश्रेष्ठ निर्णय रहा, पीवी सिंधु ने कहा

Olympic 2020: सायना नेहवाल ने भी साल 2012 में लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने पर कुछ ऐसी ही शिकायत की थी. इसके बाद सायना भी गोपीचंद अकादमी से अलग हो गयी थी, लेकिन वह फिर से गोपीचंद से जुड़ गयी थीं, लेकिन अब सिंधु के गोपी के साथ जुड़ने की कोई संभावना नहीं है. पार्क के साथ उनकी लय बढ़िया बन पड़ी है और उन्होंने साफ कर दिया है कि वह पेरिस ओलिंपिक में भी उन्हें साथ रखना चाहेंगी. 

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Olympic 2020: पीवी सिंधु ओलिंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं
नयी दिल्ली:

तोक्यो में जारी ओलिंपिक खेलों में कांस्य पदक की प्रबल दावेदार स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने अपने खेल में अहम बदलाव लाने और किए गए जरूरी त्याग के लिए दक्षिण कोरियाई कोच पार्क-ताई सैंग का शुक्रिया अदा किया है. सिंधु ने कहा कि पिछले एक साल के भीतर जब कोविड-19 महामारी का प्रकोप था और तोक्यो ओलिंपिक के आयोजन में देरी हो चली थी, तो इस दौरान पार्क ने उन्हें बेहतर खिलाड़ी बनाने में मदद की. वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि क्यों उन्होंने गोपीचंद अकादमी से अलग होने का फैसला किया.

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सिंधु ने एक मैगजीन से बातचीत में कहा कि एक साल के भीतर महामारी ने बहुत ही ज्यादा निराशा  पैदा की है, लेकिन मेरे लिए यह अच्छा समय था. मैंने पार्क से कुछ नयी चीजें सीखीं. वह एक शानदार कोच हैं और मैं 2024 में होने वाली पेरिस ओलिंपिक में उनकी सेवाएं  लेना पसंद करूंगी. बता दें कि साल 2016  में रियो ओलिंपिक के बाद से सिंधु ने तीन कोच बदले हैं. लेकिन विश्व चैंपियनशिप में सिंधु के जीतने के बाद किम जू ह्यून ने भारतीय खिलाड़ी से अलग होने का फैसला किया था. और तब से पार्क और सिंधु का तालमेल बढ़िया बना हुआ है और यह सिंधु के बयानों से साफ पता चल रहा है. पार्क की निगरानी में सिंधु ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं. सिंधु ने कहा कि तनावपूर्ण पलों में शांत रहने में पार्क ने मेरी बहुत मदद की है. उन्होंने केवल दो हिंदी के शब्द सीखे हैं-'आराम से.' और उन्होंने सेमीफाइनल के दौारन इसका इस्तेमाल किया. . बता दें कि सिंधु ने इस साल फरवरी में अपना ट्रेनिंग स्थल गोपीचंद अकादमी से स्थानांतरित कर गाचीबोवली स्टेडियम को बना लिया था. सिंधु या यह फैसला बहुत ही ज्यादा मीडिया की सुखियां बना क्योंकि गोपी की निगरानी में ही सिंधु ने रियो में रजत जीता था. कारण यह था कि गोपी निजी अंटेशन चाहते थे. 

सायना नेहवाल ने भी साल 2012 में लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने पर कुछ ऐसी ही शिकायत की थी. इसके बाद सायना भी गोपीचंद अकादमी से अलग हो गयी थी, लेकिन वह फिर से गोपीचंद से जुड़ गयी थीं, लेकिन अब सिंधु के गोपी के साथ जुड़ने की कोई संभावना नहीं है. पार्क के साथ उनकी लय बढ़िया बन पड़ी है और उन्होंने साफ कर दिया है कि वह पेरिस ओलिंपिक में भी उन्हें साथ रखना चाहेंगी. 

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सिंधु ने कहा कि गोपीचंद अकादमी से अलग होना उनका सर्वश्रेष्ठ निर्णय रहा. उन्होंने कहा कि गोपी सर के साथ कोई विवाद नहीं था. गाचीबोवली अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है और यहां  के हालात ओलिंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंटों जैसे ही हैं. सिंधु ने कहा कि तोक्यो में एरियल शॉटों के आंकलन में हवा बहुत ही अहम भूमिका निभा रही थी. और गाचीबोवली स्टेडियम में मुझे इन बातों से अभ्यस्त होने में मदद मिली. मेरा निर्णय सही साबित हुआ और मैं इसके लिए खुश हूं. वहीं, कोच पार्क ने कहा कि जब मैंने सिंधु के साथ काम करना शुरू किया तो मैं दबाव में था, लेकिन धीरे-धीरे हम एक-दूसरे के अभ्यस्त हो गए. पिछले साल फरवरी के महीने से पार्क बमुश्किल ही अपने घर गए हैं. उन्होंने हंसते हुए कहा कि मेरी तीन साल की बेटी इंतजार कर रही है.

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