बाद एक बार फिर ओलिंपिक्स (Tokya Olympics) को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई है तो सबकी उम्मीदें और नज़रें इकलौती रजत पदक विजेता पीवी सिंधु (PV Sindhu) पर जा टिकी हैं. सिंधु रियो (PV Sindhu) में सिर्फ़ 21 साल की थीं. वो उनका पहला ओलिंपिक गेम्स भी था. इस बार वो एक अच्छे अनुभव के साथ टोक्यो जा रही हैं और दुनिया भर की विपक्षी
खिलाड़ी उन्हें एक बेहद ख़तरनाक चुनौती के तौर पर देख रही हैं. सिंधु कहती हैं, "रियो मेरा पहला ओलिंपिक्स था. ओलिंपिक्स का माहौल ही अलग होता है. गेम्स विलेज में रहना, दुनिया भर के टॉप खिलाड़ियों की चुनौती के लिए खुद को तैयार करना बिल्कुल अलग होता है. लेकिन इस बार सब मेरे गेम को जानते हैं और मैं भी उनके गेम को जानती हूं, तो इस बार चुनौती बिल्कुल अलग होगी." इस बार रियो ओलिंपिक्स (Riyo Olympics) की गोल्ड मेडल विजेता स्पेन की कैरोलिना मारिन चोट की वजह से पहले ही टूर्नामेंट से अलग हो गई हैं. सिंधु और उनके बीच हमेशा कड़ी टक्कर तो रही है. लेकिना उनके टूर्नामेंट से बाहर होने को लेकर सिंधु ने दुख जताया है.
सिंधु नहीं मानतीं कि मारिन की ग़ैरमौजूदगी से टर्नामेंट उनके लिए कहीं से भी आसान साबित होगा. टोक्यो में किन ख़ास खिलाड़ियों पर सिंधु की नजर रहेगी, के सवाल पर सिंधु ने कहा कि टॉप 10 के किसी खिलाड़ी को हल्का नहीं आंका जा सकता. लेकिन ख़ासकर चीन की बांये हाथ की खिलाड़ी बिंगजाओ का नाम लेती हैं. सिंधु ने कहा कि चीन की दोनों खिलाड़ी ही बिंगजिआओ और चेन यू फ़ेई को लेकर दुनिया के सभी खिलाड़ी आंकलन कर रहे हैं और उनके बारे में जानने को उत्सुक हैं. क्योंकि इन दोनों खिलाड़ियों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है. इसके अलावा अपनी चुनौती को लेकर वह ताइपेई की ताइ ज़ु यिंग, जापान की ओकुहारा और यामागुचि, थाइलैंड की रैट चेनॉक और द.कोरिया की एना से-यंग जैसी
खिलाड़ियों को मज़बूत प्रतिद्वंद्वी बताती हैं. सिंधु ज़ोर देकर ये भी कहती हैं कि ओलिंपिक्स में हिस्सा ले रही किसी खिलाड़ी को कमज़ोर नहीं आंका जा सकता.
वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक गोल्ड सहित पांच पदक जीतने वाली अकेली भारतीय सिंधु ने इन दिनों हैदराबाद के स्टडियम में तैयारी के लिए ख़ास अनुमति ले रखी है. वह कहती हैं कि ये स्टेडियम बहुत बड़ा है और यहां माहौल बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा टोक्यो में रहने वाला है. भारतीय खेल प्राधिकरण SAI द्वारा आयोजित ख़ास प्रेस कॉफ़्रेंस में वो बताती हैं, 'टोक्यो के बड़े स्टेडियम में हवा के ड्रिफ़्ट और एयर कंडिशनर की बड़ी चुनौती हो सकती है. यहां शटल की स्पीड तेज़ हो सकती है. गचीबाओली स्टेडियम में अगर अंतर्राष्टरीय स्तर की तैयारी की सुविधा है तो क्यों न यहां तैयारी करुं?" वो ये भी कहती हैं कि उनके कोच ने पार्क तेइ सैंग के गेम, उनकी रणनीति और छोटी-छोटी बातों का ख़्याल रखा है.
अपनी रणनीति को लेकर सिंधु साफ़ नज़र आती हैं. वो कहती हैं कि इस बार उन्होंने अपने कई स्ट्रोक्स पर काम किया है. उनका मानाना है कि दुनिया को पता है कि उनकी स्ट्रैंथ अटैकिंग गेम खेलना है. इसलिए इस बार उन्होंने अपने डिफेंस पर भी अलग काम किया है. सिंधु यह भी मानती हैं कि पिछले दो महीने से कोई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट नहीं होने की वजह से इस बार सभी खिलाड़ियों की रणनीति पर अलग ज़ोर होगा. वह मानती हैं कि खिलाड़ी बदली हुई रणनीति के साथ कोर्ट पर उतरेंगे.
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