Tokyo Olympic 2020: रणनीति नहीं, बल्कि इस 'छिपी भावना' ने लवलिना के लिए पदक पक्का किया, खुद बॉक्सर ने किया खुलासा

Olympic 2020: यह युवा मुक्केबाज कई परेशानियों से जूझने के बाद यहां अपने पहले ओलिंपिक तक पहुंची है, लेकिन अभी उनका इरादा कुछ भी सोचकर ध्यान भटकाने का नहीं है. उन्होंने कहा, 'पहली बात तो मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं. मुझे कांस्य पदक पर नहीं रुकना. खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
Tokyo Olympic 2020: हर तरफ लवलिना के नाम की धूम है, उन्हीं के नाम का शोर है
तोक्यो:

Olympic 2020 (july 30th): भारत के लिये दूसरा ओलिंपिक पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन ने शुक्रवार को कहा कि तोक्यो खेलों के क्वार्टरफाइनल में वह कोई रणनीति बनाकर नहीं उतरी थीं बल्कि रिंग के अंदर की परिस्थितियों के हिसाब से खेली थी क्योंकि चीनी ताइपे की मुक्केबाज से वह पहले चार बार हार चुकी थीं.  लवलिना ने पूर्व विश्व चैम्पियन नियेन चिन चेन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश भारत के लिये इन खेलों में दूसरा पदक पक्का कर दिया. असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज का सामना मौजूदा विश्व चैम्पियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा.

लवलिना ने तोक्यो से वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'मैं उससे (नियेन चिन चेन) चार बार हार चुकी थीं. खुद को साबित करना चाहती थी. मुझे लगा यही मौका है, अब मैं चार बार हारने का बदला लूंगी.'किस रणनीति के साथ रिंग में उतरी थीं, इस पर उन्होंने कहा, ‘कोई रणनीति नहीं थी क्योंकि प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज इससे पकड़ सकती थी. इसलिये मैंने सोचा कि रिंग में ही देखूंगी और वहीं परिस्थितियों के हिसाब से खेलूंगी. मैं खुलकर खेल रही थी.'

यह युवा मुक्केबाज कई परेशानियों से जूझने के बाद यहां अपने पहले ओलिंपिक तक पहुंची है, लेकिन अभी उनका इरादा कुछ भी सोचकर ध्यान भटकाने का नहीं है. उन्होंने कहा, 'पहली बात तो मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं. मुझे कांस्य पदक पर नहीं रुकना. खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है.'अगले मुकाबले के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक है। पदक तो एक ही होता है। उसके लिये ही तैयारी करनी है. सेमीफाइनल की रणनीति बनानी है.'

Advertisement

यह पूछने पर कि वह इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी तो लवलिना ने कहा, ‘मैं पहले ऐसी नहीं थी. डर डर कर खेलती थी. कुछ टूर्नामेंट में खेलकर धीरे धीरे डर खत्म हुआ. रिंग में उतरने से पहले भी डरती थी, लेकिन फिर खुद पर विश्वास करने लगी, लोग कुछ भी कहें, अब फर्क नहीं पड़ता जिससे निडर होकर खेलने लगी.'वह खुद में सुधार के लिये ‘स्ट्रेंथ कंडिशनिंग'को भी अहम मानती हैं, उन्होंने कहा, 'मेरी सबसे बड़ी समस्या ‘स्ट्रेंथ'थी, जिस पर मैंने काफी काम किया. खेल विज्ञान से काफी फायदा हुआ.' यह पूछने पर कि क्या क्वार्टरफाइनल में खेलने से पहले दबाव था. तो उन्होंने कहा, 'कोई दबाव नहीं लिया, हालांकि दबाव था. मैंने सोचा कि दबाव लेने से अच्छा नहीं खेल पाते. मैं ‘फ्री' होकर खेली और यही सोचा कि दबाव मुक्त होकर हखेलना है. पूरा भारत प्रार्थना कर रहा है, मुझे अपना शत प्रतिशत देना है.' वह पिछले साल कोविड-19 पॉजिटिव हो गयी थीं, जिसके बाद वह टूर्नामेंट में खेलने नहीं जा सकीं. लवलिना ने हालांकि अपनी तैयारियों पर इसका असर नहीं पड़ने दिया.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘जब कोविड-19 से उबरकर वापसी की तो टूर्नामेंट भी नहीं मिल रहे थे क्योंकि आयोजित ही नहीं हो पा रहे थे. टूर्नामेंट का अहसास नहीं मिल पा रहा था और ‘स्पारिंग'नहीं हो रही थी. मैंने सोचा कि कैसे करूं तो ट्रेनिंग उसी हिसाब से की. हमारे कोचों की वजह से अच्छा कर पायी'.पूर्वोत्तर ने भारत को मुक्केबाजी में दो पदक दिलाये हैं जो दो महिलाओं ने जीते हैं. छह बार की विश्व चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता) से प्रेरणा लेने वाली लवलिना ने कहा, 'मेरीकॉम प्रेरणास्रोत हैं. मेरी दीदी का ही नाम सुना था. उनकी परेशानियां भी देखी हैं, उनके बारे में सुना था, उनके साथ ट्रेनिंग करते हैं, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. खुशी होती है कि हम उनके साथ खेलते हैं.'

Advertisement

VIDEO: शुक्रवार को पदक सुनिश्चित करने के बाद लवलिना के घर में जश्न का माहौल है.  

Advertisement
Featured Video Of The Day
Sambhal में हुई हिंसा पर Akhilesh Yadav ने साधा विपक्ष पर निशाना, कहा- जान बूझकर करवाया
Topics mentioned in this article