पेरिस ओलंपिक में सरबजोत सिंह मिश्रित टीम स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष निशानेबाज बने, इस ऐतिहासिक जीत के बाद वो पहचान के मोहताज नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा के धीन गांव का 22 वर्षीय शार्प-शूटर 2011 से तुर्की के निशानेबाज यूसुफ डिकेक को अपना आदर्श मानता रहा है. हाल ही में पेरिस में अपने 'गियरलेस' मेडल शूटआउट के बाद यूसुफ सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. सरबजोत ने यूसुफ के लिए अपने प्रशंसक होने का खुलासा करते हुए दावा किया कि वह खुद 'उनकी पूर्णता की बराबरी नहीं कर सकता'.
प्यूमा को दिए इंटरव्यू में सरबजोत ने कहा,"मैं 2011 से ही यूसुफ के वीडियो देख रहा हूं. वह हमेशा से ऐसे ही रहे हैं. आज उनकी उम्र 51 साल है. मैंने कोशिश की, लेकिन मैं उनकी तरह परफेक्शन से नहीं मिल पाया. अगर मुझे मौका मिले, तो मैं उनसे पूछूंगा कि वह क्या खाते हैं?"
स्पोर्ट्स होस्ट जतिन सप्रू के साथ बातचीत में उन्होंने यह भी बताया कि पिस्तौल पर एसएसआईएनजीएच30 अंकित है, जिसमें उनके नाम के पहले अक्षर और उनकी यात्रा की एक महत्वपूर्ण तारीख शामिल है. सरबजोत से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने पसंदीदा हथियार - अपनी शूटिंग गन को कोई नाम दिया है, तो उन्होंने कहा, "मैंने इसे कोई नाम नहीं दिया."
हालांकि उन्होंने आगे कहा,"जब मैंने हांगझोऊ में 2022 एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, तो मैंने हथियार पर 'आईएनजीएच30' लिखवाया. यह मेरा सबसे अच्छा हथियार है, क्योंकि मेरा पदक (स्वर्ण) 30 सितंबर को आया था और यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी."
एथलीट ने यह भी बताया कि उन्हें अपनी यात्रा में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हर बार अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की कोशिश की.
मनु भाकर के साथ ट्रेनिंग पर बोले सरबजोत
मनु भाकर के साथ मिलकर भारत को मिश्रित निशानेबाजी स्पर्धा में पहला ओलंपिक दिलाने वाले सरबजोत सिंह ने शनिवार को कहा कि उन्हें अपनी स्पर्धा से पहले एक साथ ट्रेनिंग करने का बमुश्किल ही मौका मिला था. मनु और सरबजोत ने पेरिस ओलंपिक की 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम निशानेबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया.
सरबजोत ने कहा,"मेरी ट्रेनिंग नौ बजे होनी थी और उसकी 12 बजे. दोनों की ट्रेनिंग अलग अलग. मिश्रित ट्रेनिंग सत्र 30 मिनट तक रहा जिसके पहले वह अलग से ट्रेनिंग करती थीं और मैं अलग से." उन्होंने कहा,"हमारी बातचीत आमतौर पर संक्षिप्त रही जिसमें बातें 'अपना शत प्रतिशत देना है' बस यहीं तक सीमित रहती." सरबजोत ने याद करते हुए कहा,"कभी कभी मैं उसका मजाक उड़ाता था तो कभी कभी वह मेरा मजाक उड़ाती थी."
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