Olympic 2020: ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम करने वालीं लवलिना के बारे में ये 5 बातें आप नहीं जानते होंगे

Tokyo Olympic 2020:  नॉर्थ-ईस्ट की 23 साल की लोवलिना बोरगोहैन (Lovlina Borgohain) को सेमीफाइनल में भले ही हार का सामना करना पड़ा है लेकिन अपने देश के लिए बॉन्ज मेडल जीतने में सफल हो गई है.

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Lovlina Borgohain के मुक्के की गूंज बहुत दूर तक जाएगी
नयी दिल्ली:

Tokyo Olympic 2020:  नॉर्थ-ईस्ट की 23 साल की लोवलिना बोरगोहैन (Lovlina Borgohain) को सेमीफाइनल में भले ही हार का सामना करना पड़ा है लेकिन अपने देश के लिए बॉन्ज मेडल जीतने में सफल हो गई है. लवलीना ओलंपिक में भारत की ओर से मेडल जीतने वाली तीसरी बॉक्सर और दूसरी महिला बॉक्सर बन गई हैं.  लवलीना ब्रॉन्ज मेडल के साथ भारत वापस लौटेंगी ही लौटेंगी. और जैसे ही उनकी खबर आयी, सोशल मीडिया पर लोवलिना के नाम का डंका बज गया. देखते ही देखते वह ज्यादातर मंचों पर ट्रेंड करने लगीं, उनके वीडियो वायरल होने लगे, तो गूगल पर उन्हें सर्च करने वालों की संख्या मानो तूफान में तब्दील हो गयी. फैंस इस लड़की के बारे में जानने के लिए बहुत ही ज्यादा बरकरार हैं. चलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं लोविलना के बारे में अहम 5 बातें. लेकिन उससे पहले थोड़ा संक्षिप्त परिचय भी जान  लें: 

Tokyo Olympics : बॉन्ज मेडल जीतकर लवलीना ने दोहराया इतिहास, ऐसा करने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला बॉक्सर

नाम: लोवलिना बोरगोहैन

जन्म तिथि: 2 अक्टूबर, 1997

जन्म स्थान: गोलाघाट (असम)

स्पर्धा: बॉक्सिंग (वॉल्टरवेट-69 किग्रा.)

कोविड को मात देकर बनीं चैंपियन
बहुत कम लोगों को मालूम है कि ओलिंपिक के लिए रवाना होने से कुछ महीने पहले कोविड-19 संक्रमित हो गयीं, लेकिन महामारी भारतीय मुक्केबाज का मनोबल नहीं तोड़ सकीं. कोविड को मात देने के बाद लोवलिना ने अपनी ट्रेनिंग बदस्तूर जारी रखी. लोवलिना को कोविड होने की बात का खुलासा उनके मेंटोर परारथना ने किया

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असम की पहली महिला...

लोवलिना असम राज्य से ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला खिलाड़ी और सिर्फ दूसरी मुक्केबाज हैं. उनसे पहले शिवा थापा ने ओलिंपिक में असम से प्रतिनिधित्व किया था. वहीं, लोविलना असम से अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली सिर्फ छठी खिलाडी हैं. 

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किक बॉक्सिंग से शुरू किया था करियर लेकिन...

लोवलिना के पिता टिकेन एक छोटे व्यापारी हैं और उन्हें अपनी तीन बेटियों की परवरिश के खासा संघर्ष करना पड़ा. लोवलिना की दो बड़ी बहनें राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग खेल चुकी हैं और लोविलना ने भी अपना करियर इसी खेल से शुरू किया था. लेकिन बाद में अवसर मिलने पर उन्होंने अपनी राह बदल दी. स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने उनके हाई स्कूल में ट्रॉयल आयोजित किए और यहीं उनकी प्रतिभा पहचानी गयाी. इसके बाद लोविलना ने प्रसिद्ध कोच पदुम बोरो की निगरानी में साल 2012 में ट्रेनिंग करनी शुरू कर दी. बाद में शिव सिंह ने उन्हें ट्रेनिंग दी

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...और मिला बड़ा मौका 

लगातार मेहनत से खेल सुधरता रहा, तो लोविलना के करियर का बड़ा मौका तब आया, जब उन्हें साल 2018 राष्ट्रकुल खेलों में भागीदारी करने का मौका मिला. यह मौका वेल्टरवेट की श्रेणी में आया, लेकिन विवाद तब पैदा हो गया, जब खबर आयी कि उन्हें अपने चयन की सूचना नहीं मिली. लोवलिना को यह सूचना मीडिया के जरिए मिली. राष्ट्रुकल खेलों में वह ब्रिटेन की सैंडी रियान से क्ववार्टरफाइनल में हार गयीं, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीता, लेकिन लोवलिना को यहां से जरूरी वैश्विक स्तर का हौसला मिल चुका था. असर 

मेहनत रंग लायी रंग..पदक आने शुरू

2 अक्टूबर साल 1997 को जन्मी लोवलिना की मेहनत से उनके खेल का स्तर लगातार ऊंचा होता गया. कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक बटोरने के बाद  साल 2018 में AIBA महिला विश्व चैंपियनशिप में लोवलिना को कांस्य पदक मिला, तो इसी प्रतियोगिता में 2019 में फिर से कांस्य पदक जीतकर इस मुक्केबाज ने दिखा दिया कि विश्व स्तर पर भी उनके मुक्कों में दम है. 

VIDEO:  लोविलना के गांव में जश्न का माहौल है.

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