Yusuf Dikec's become talk of town: खेलों में शूटिंग कतई भी आसान नहीं है. तकनीकी और मानसिक तैयारी ही अपने आप में बहुत कुछ ले लेती है. मानो यही काफी नहीं है! "युद्ध" के लिए उतरने के समय किसी भी निशानेबाज को कई सुरक्षा उपकरण अनिवार्य रूप से पहनने होते हैं. जैसे खास तौर पर बने लेंस, कानों की सुरक्षा के उपकरण, वगैरह-वगैरह, लेकिन जब कोई निशानेबाज 51 साल का हो. और बिना किसी उपकरण के निशाना लगाने उतरे और ओलंपिक खेलों में रजद पदक पर सहजता से निशाना साध दे, तो निश्चित तौर पर इसके अपने ही मायने है. और इसकी चर्चा होना भी स्वाभाविक है. कुछ ऐसा ही जारी ओलंपिक के छठे दिन किया तुर्की के निशानेबाज यूसेफ दिकेक (Yusuf Dikek's wins silver) ने. यूसुफ ने अपनी जोड़ीदार के साथ रजत पदक पर तो निशाना साधा ही, लेकिन इससे ज्यादा उन्होने अपनी स्टाइल से दुनिया भर का दिल जीत लिया. चर्चे भी ऐसे कि प्रसिद्ध उद्योगपति आनंद महेंद्र भी खुद को X पर मैसेज करने से नहीं रोक सके.
देखते ही देखते हुए वायरल
छठे दिन 51 साल के इस शूटर ने बिना लेंस और बाकी उपकरणों के 10 मी शूटिंग मिक्स्ड इवेंट में रजत पदक पर एक हाथ जेब में डालकर निशाना साधा, तो देखते ही देखते उनकी स्टाइल सोशल मीडिया पर तेजी से वारयल हो हो गई. यहां तक कि प्रसिद्ध उद्योगपित आनंद महेंद्रा भी खुद को X पर कमेंट पोस्ट करने से नहीं रोक सके. डिकेक ने अपनी जोड़ीदार सेव्वल लायदा के साथ मिलक रजत पदक जीता
पहली बार जीता ओलंपिक पदक
यूसुफ ने पूरे मुकाबले के दौारन नियमित रूप से पहने जाने वाले नजर का चश्मा और ईयर-प्लग पहनने के साथ किया. बता दें कि यूसुफ पेरिस में जारी महाकुंभ को मिलाक अपने पांचवें ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. पहली बार यूसुफ ने साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक खेलों में भाग लिया था. और इतना लंबा समय गुजारने के बाद आखिरकार यूसुफ ने अपना पहला ओलंपिक पदक जीत ही लिया. बहरहाल, यूसुफ रजत पदक जीतने के साथ अपने देश में तो हीरो बने ही हैं, लेकिन उनकी स्टाइल और स्वैग को सोशल मीडिया कैसे ले रहा है, यह आप जरा इन कुछ कमेटों से सुनिए:
"मुझे उपकरणों की जरुरत नहीं, मैं नैसर्गिक शूटर हूं", इस बात को साबित तो कर दिया है डिकेक ने
इस पहलू से तो लीजेंड हैं ही डिकेक, बात भले ही रिकॉर्डबुक में न आती हो, लेकिन फैंस के दिल में तो आती है
रचनात्मक कलाकार भी उमड़ पड़े हैं...यह कलाकार बता रहा है कि यूसुफ के लिए पदक जीतना मानो बाएं हाथ का खेल है..वैसे बढ़िया बन पड़ा है