NDTV Exclusive: सिल्वर मेडल जीतने के बाद क्यों रोने लगे थे निषाद कुमार, खुद किया खुलासा

भारत के निशाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में मेंस हाई जंप में T47 फाइनल में रजत पदक जीता. हालांकि, वो इसके बाद भी खुश नजर नहीं आए और मेडल जीतने के बाद रोने लगे थे. वहीं अब उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया है कि उनकी आंखों में आंसू क्यों थे.

Advertisement
Read Time: 3 mins

N

भारत के निशाद कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में मेंस हाई जंप में T47 फाइनल में रजत पदक जीता है. तीन साल पहले टोक्यो में दूसरे स्थान पर रहे निशाद ने 2.04 मीटर की छलांग के साथ सीजन का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें रजत पदक मिला.  संयुक्त राज्य अमेरिका के टाउनसेंड-रॉबर्ट्स ने सीजन की सर्वश्रेष्ठ 2.08 मीटर की छलांग के साथ निशाद कुमार पर अपनी बढ़त बढ़ा दी और स्वर्ण पदक जीता, जबकि रूस के जॉर्जी मार्गिएव ने कांस्य पदक हासिल किया.

निषाद ने कहा,"रोना तो निकल ही जाता है, क्योंकि जो उम्मीद होती है और अगर उस पर खरा नहीं उतरते तो रोना निकल ही जाता है." निषाद ने एक सप्ताह पहले ही 2.10 मीटर का मार्क पार किया था, लेकिन फाइनल में वो ऐसा नहीं कर पाए और 2.8 मार्क पर फंस गए. ऐसे में उन्होंने कहा,"वही कहानी समझ नहीं आ रही कि क्यों फंस गया. सवाल है मेरे दिमाग में. कोच से बात करेंगे कि क्यों फंसा 2.8, फसना नहीं चाहिए था. उसकी उम्मीद नहीं थी. वो सेलेब्स में नहीं था कि हम 2.8 में फंस जाएंगे."

निषाद कुमार ने 2017 में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ में 1.83 मीटर से सुधार करके 2019 में दुबई में विश्व पैरा चैंपियनशिप में 2.0 मीटर का मार्क पार किया था. टोक्यो में, कुमार ने 2.06 मीटर की सर्वश्रेष्ठ छलांग लगाई थी और उसके बाद नेशनल में अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ 2.14 मीटर तक पहुंचे थे. पिछले साल, उन्होंने विश्व पैरा चैंपियनशिप में 2.09 मीटर की सर्वश्रेष्ठ छलांग के साथ रजत पदक जीता और हांग्जो एशियाई खेलों में उसी अंक के साथ
एशियाई पैरा रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता.

वहीं निषाद के साथ कोच सत्या को लेकर कहा जाता है कि उनकी बाज सी आंखे हैं. वहीं सत्या ने एनडीटीवी से कहा,"पैरा एथलीट में हमें थोड़ा रिसर्च करके खिलाड़ियों को प्रमोट करना पड़ता है. ये (निषाद) ग्रामीण इलाके से आते हैं. इसमें बहुत टैलेंट हैं. फुल बॉडी है. मैंने इसको ऐसे पहचाना, विश्व चैंपियनशिप में जाना था, सरकार ने इनका नाम काट दिया. 12वीं रैंक थी. कहा गया कि इसका कोई परफॉमेंस नहीं हैं. हम इसको विश्व चैंपियनशिप में लेकर गए, वहां उन्होंने कांस्य पदक जीता. 2019 की बात है." बता दें, बचपन में एक शरारत के दौरान हुए हादसे में निषाद को अपना हाथ गंवाना पड़ा था. निषाद का घास काटने वाली मशीन ने हाथ कटा था.

Advertisement

यह भी पढ़ें: IIT से ग्रेजुएट, ट्रेन हादसे में खोया पैर : जानिए पैरालंपिक में भारत को दूसरा मेडल दिलाने वाले नितेश की कहानी

Advertisement

यह भी पढ़ें: Yogesh Kathuniya: बचपन से दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे योगेश कथुनिया, अब पेरिस में पदक जीतकर रचा इतिहास

Advertisement
Topics mentioned in this article