Paris Paralympics 2024: कैसे नवदीप सिंह का सिल्वर मेडल बदला गोल्ड में ? ईरानी खिलाड़ी ने मचाया बवाल

Navdeep Singh, पुरुषों की भाला फेंक एफ41 फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारत के नवदीप सिंह के रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया

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Navdeep Singh Clinch Javelin Throw F41 Gold Medal: पेरिस पैरालंपिक (Paris Paralympics 2024) में शनिवार को पुरुषों की भाला फेंक एफ41 फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारत के नवदीप सिंह के रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया. यह पुरुषों की भाला एफ41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है. नवदीप का पहला प्रयास फाउल रहा लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर के थ्रो के साथ शानदार वापसी की। तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले नवदीप के तीसरे थ्रो ने स्टेडियम को रोमांचित कर दिया. उन्होंने 47.32 मीटर के विशाल थ्रो के साथ पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया और बढ़त बना ली। सादेघ ने हालांकि अपने पांचवें प्रयास में भारतीय खिलाड़ी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 47.64 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया.

फाइनल की समाप्ति के कुछ समय बाद ईरान के खिलाड़ी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिसके कारण नवदीप ने शीर्ष स्थान हासिल किया. सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया. वह अपनी हरकतों से स्वर्ण पदक गवां बैठे. अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियम एथलीटों को आयोजन में कोई भी राजनीतिक संकेत देने से रोकते हैं और सयाह को गैर-खेल/अनुचित आचरण के लिए अंतिम परिणामों से बाहर कर दिया गया था.

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इस स्पर्धा का रजत विश्व रिकॉर्ड धारक चीन के सन पेंगजियांग (44.72) के नाम रहा जबकि इराक के नुखाइलावी वाइल्डन (40.46) ने कांस्य पदक जीता. एफ41 श्रेणी छोटे कद के एथलीटों के लिए है. नवदीप ने इस स्वर्ण पदक के साथ तोक्यो खेलों में चौथे स्थान पर रहने की कसक को दूर की. आयकर विभाग में निरीक्षक के पद पर तैनात नवदीप ने 2017 में खेल में आने के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर पांच बार पदक जीते हैं। उन्होंने इस साल की शुरुआत में पैरा-विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. 

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कौन है छोटे कद के नवदीप सिंह (Who is Navdeep Singh)

हरियाणा के पानीपत में जन्मे नवदीप को शुरू से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी स्थिति को खुद पर हावी नहीं होने दिया. अपने पिता, जो राष्ट्रीय स्तर के पहलवान और ग्राम सचिव हैं, से प्रेरित होकर, नवदीप ने अपने जुनून को एथलेटिक्स में बदल दिया, सामाजिक अपेक्षाओं और शारीरिक सीमाओं को पार करते हुए. यूनिक पब्लिक स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी करने और दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी (ऑनर्स) में बी.ए. करने के बाद, नवदीप की खेलों के प्रति प्रतिबद्धता और भी मजबूत हो गई.  2017 में उनके करियर ने एक निर्णायक मोड़ लिया, जब उन्होंने पेशेवर कोचिंग शुरू की और एशियाई युवा पैरा खेलों में अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, जहां उन्होंने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता.  

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इस जीत ने एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया, जिसने साबित कर दिया कि उनका दृढ़ संकल्प और धैर्य किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। नवदीप ने पांच राष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीते और दुबई में 2021 फ़ैज़ा अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में एक इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीता  टोक्यो पैरालिंपिक और 2022 में एशियाई पैरा खेलों में असफलताओं के बावजूद, जहां वे चौथे स्थान पर रहे, बेंगलुरु में आयकर विभाग में निरीक्षक के रूप में कार्यरत नवदीप ने इस साल की शुरुआत में जापान के कोबे में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर वापसी की.

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