कुश्ती ट्रायल के दौरान ड्रामा, विनेश ने मुकाबले में बाधा डालने के बाद 50 किग्रा में दर्ज की जीत

ट्रायल के दौरान मौजूद एक कोच ने कहा ,‘‘ विनेश सरकार से आश्वासन चाहती है . उसे डर है कि अगर डब्ल्यूएफआई के हाथ में फिर कमान आ गई तो चयन नीति बदल सकती है . पर सरकार इस पर आश्वासन कैसे दे सकती है . सरकार चयन मामलों में दखल नहीं दे सकती.’’

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 पेरिस ओलंपिक की दौड़ में बने रहने की कवायद में स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने महिलाओं के 50 किलो और 53 किलो वर्ग में चयन ट्रायल शुरू नहीं होने दिये और अधिकारियों से लिखित आश्वासन मांगा कि 53 किलो भारवर्ग के आखिरी ट्रायल ओलंपिक से पहले होंगे.

कुश्ती की तदर्थ समिति द्वारा उनकी मांग मानने के बाद विनेश ने 50 किग्रा भार वर्ग में शिवानी को 11-6 से हराकर अगले महीने किर्गिस्तान के बिश्केक में होने वाले पेरिस ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में जगह पक्की कर ली. जकार्ता एशियाई खेलों की यह स्वर्ण पदक विजेता हालांकि 53 किग्रा का मुकाबला तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर अंजू से 0-10 से हार गईं.

 डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने और लंबे चले प्रदर्शन की अगुवाई करने वाली विनेश 50 किलोवर्ग के ट्रायल के लिये यहां साइ केंद्र पहुंची थी .

‘यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू)' के अनुच्छेद 7 के अनुसार एक प्रतियोगी को एक ही दिन में एक भार वर्ग में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन विनेश सोमवार को दो अलग-अलग भार वर्गों में ट्रायल में शामिल हुईं.

 वह बृजभूषण के खिलाफ प्रदर्शन से पहले 53 किलोवर्ग में उतरती थी लेकिन उस वर्ग में अंतिम पंघाल को कोटा मिलने के कारण उसने अपना भारवर्ग कम किया.

विनेश ने लिखित आश्वासन की मांग करते हुए प्रतिस्पर्धा शुरू नहीं होने दी . उसने 50 किलो और 53 किलो दोनों में भाग लेने की अनुमति मांगी जिससे अजीब स्थिति बन गई . इससे 50 किलो  भारवर्ग में उतरे पहलवान शिकायत करने लगे. उन्होंने कहा ,‘‘ हम ढाई घंटे से इंतजार कर रहे हैं . ''

आईओए द्वारा गठित तदर्थ समिति पहले ही कह चुकी है कि 53 किलो वर्ग के लिये अंतिम ट्रायल होगा जिसमें इस भारवर्ग के शीर्ष चार पहलवान उतरेंगे . ट्रायल के विजेता को अंतिम से मुकाबला करना होगा और उसमें विजयी रहने वाली पहलवान भारत का प्रतिनिधित्व करेगी.

ट्रायल के दौरान मौजूद एक कोच ने कहा ,‘‘ विनेश सरकार से आश्वासन चाहती है . उसे डर है कि अगर डब्ल्यूएफआई के हाथ में फिर कमान आ गई तो चयन नीति बदल सकती है . पर सरकार इस पर आश्वासन कैसे दे सकती है . सरकार चयन मामलों में दखल नहीं दे सकती.''

उन्होंने कहा ,‘‘ शायद वह अपना भविष्य सुरक्षित करना चाहती है. वह अगर 50 किलो ट्रायल में हार गई तो यह सुनिश्चित करना चाहती है कि 53 किलो में भी दौड़ में बनी रहे.

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