CWG 2030: इन 4 बड़ी वजहों से भारत ने दी नाइजीरिया को मात, अहमदाबाद कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी को तैयार

CWG 2030: कॉमवेनल्थ खेलों के कार्यकारी बोर्ड ने अपनी मुहर लगा दी है. यहां से औपचारिकता भर बाकी है और इसका आधिकारिक ऐलान 26 नवंबर को हो जाएगा

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Commonwealth Games 2030: कॉमनवेल्थ गेम्स की प्रतिकात्मक तस्वीर
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  • अहमदाबाद साल 2030 में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी के लिए कार्यकारी बोर्ड ने सिफारिश की है
  • सरदार पटेल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और नरेंद्र मोदी स्टेडियम का विश्व स्तरीय आधारभूत ढांचा अहमदाबाद की ताकत
  • भारत की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय क्षमता नाइजीरिया के मुकाबले कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी में अधिक मजबूत
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Ahmedabad is ready to host commonwealth games: अहमदाबाद साल 2030 में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी के लिए तैयार है! वीरवार को कॉमनवेल्थ खेलों के कार्यकारी बोर्ड ने जैसे ही यह ऐलान किया कि वह महाकुंभ की मेजबानी के लिए अहमदाबाद के नाम की सिफारिश करने जा रहा है, वैसे ही भारतीय खेल जगत में जश्न का माहौल हो गया. इस खबर के कुछ देर बाद ही गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस खबर पर देश के समस्त देशवासियों को बधाई दी, तो साफ हो गया कि अगले महीने की 26 तारीख को शहर के नाम के आधिकारिक ऐलान पर अहमदाबाद के नाम पर ही मुहर लगेगी. बता दें कि मेजबानी की दावेदारी के लिए आखिर में नाइजीरिया की राजधानी अबुजा और अहमदाबाद (Ahmedabad vs Abuja) के बीच मुकाबला था, लेकिन गुजरात की राजधानी आखिरी अगर एक देश की कैपिटल पर भारी पड़ी, तो इसकी अपनी वजह है. चलिए आप इन कारणों को बारी-बारी से जान लीजिए. 

1. मजबूत आधारभूत ढांचा और रणनीति 

CWG के कार्यकारी बोर्ड  की सिफारिश की सबसे बड़ी वजह अहमदाबाद के सरदार पटेल स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के विश्व स्तरीय स्थल रहे. इसमें एक लाख, 32000 की क्षमता वाला नरेंद्र मोदी स्टेडियम के साथ ही एक उच्च स्तरीय यातायात ढांचा भी शामिल है. भारत द्वारा दिए गए प्रस्ताव में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि किन वजहों के चलते खेलों का आयोजन कहीं आसान और कम खर्चीला होगा

2. आर्थिक ताकत में कोई तुलना ही नहीं

यह कोई बहस का विषय ही नहीं है कि आर्थिक लिहाज से दोनों देशों के बीच कहीं कोई तुलना ही नहीं हैं. जहां भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर है, तो वहीं नाइजीरिया वर्तमान में इस लिहाज  से 57वें नंबर का है. वहीं जहां क्रय शक्ति में भारत का नंबर दुनिया में तीसरा है, तो नाइजीरिया का नंबर 27वां है. ऐसे में वित्तीय वजहों से भारत की दावेदारी को कार्यकारी बोर्ड ने तुलनात्मक रूप से कहीं मजबूत पाया. खेलों के इतिहास में संबद्ध देशों का तय बजट से कहीं ज्यादा खर्च होने का इतिहास रहा है. ऐसे में वित्तीय स्थिरता एक बड़ा मानक है, जो भारत के पक्ष में गया. अबुजा का मेजबानी हासिल करने का दूसरा प्रयास था. इससे पहले उसने 2014 में पहली बार प्रयास किया था, लेकिन तब भी सफलता उसके हाथ नहीं लगी थी. 

3. स्थिर सरकार होना एक बड़ी वजह

खेलों की मेजबानी हासिल करने के लिए भारत और गुजरात सरकार ने मिलकर बहुत ही मजबूती के साथ मेजबानी का दावा पेश किया. वजह यह है कि राज्य और केंद्र दोनों ही मिलकर भारत 2026 ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने पर नजर गड़ाए हुए है. ऐसे में भारत का मजबूत प्रस्तुतिकरण भी एक बड़ी वजह रही, जिससे अहमदाबाद, अबुजा को पछाड़ने में सफल हो गया!

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4. प्रदर्शन का शानदार इतिहास

कॉमवेल्थ गेम्स के कार्यकारी बोर्ड की अहमदाबाद के नाम की सिफारिश करने की सबसे बड़ी वजह भारत का बड़ी प्रतियोगिता के सफलतापूर्वक आयोजन का शानदार इतिहास रहा. अगर साल 1982 में नई दिल्ली के एशियाई खेलों को एक तरफ भी रख दें, तो साल 2010 में नई दिल्ली में राष्ट्रकुल खेलों के जरिए भारत का दुनिया को यह दिखाना भी बड़ी वजह रहा कि बड़ी खेल प्रतियोगिता के आयोजन में कॉमनवेल्थ खेलों से भी आगे जाने को तैयार है. 

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