Avinash Sable Paris Olympics 2024: भारतीय एथलीट अविनाश साबले ने पेरिस ओलंपिक में सोमवार को यहां पुरुष 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में अपनी हीट में पांचवें स्थान के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. वह इस स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाले भारत के पहले एथलीट बन गये हैं. राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी साबले ने दूसरी हीट में आठ मिनट 15.43 समय के साथ पांचवां स्थान हासिल किया. तीन हीट के शीर्ष पांच-पांच स्थान पर रहने धावकों ने फाइनल का टिकट कटाया. साबले की हीट में मोरोक्को के मोहम्मद तिंडौफत ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आठ मिनट 10.62 सेकंड के समय के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया. सेना में नायक सूबेदार पदक पर काबिज साबले ने कई बार अपने ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड को बेहतर किया है. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आठ मिनट 09.94 सेकंड है जो उन्होंने पिछले महीने की शुरूआत में पेरिस डायमंड लीग हासिल किया था.
उनका जन्म 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले में एक किसान परिवार में हुआ था. जब से वह छह साल के थे, तब से वह घर से स्कूल और वापस छह किलोमीटर की दूरी दौड़कर या पैदल तय करते थे, क्योंकि उनके लिए कोई परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं था. दरअसल, उनके गांव में परिवहन की कोई सुविधा उस समय नहीं थी, स्कूल से पास होने के बाद वह सेना में भर्ती हो गए. साल 2015 में, अविनाश ने भारतीय सेना के लिए क्रॉस-कंट्री दौड़ में हिस्सा लिया और फिर उन्होंने स्टीपलचेज में कदम रखा. अधिक वजन होने होने के कारण उन्होंने अपनी फिटनेस पर मेहनत की 20 किलो वजन कम करने में सफल रहे. उन्होंने एशियाई खेलों का गोल्ड मेडल जीता है. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी पदक जीते हैं. अब ओलंपिक में चमकने का समय आ गया है.
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कभी थे राजमिस्त्री
अविनाश साबले बीड जिले के सूखाग्रस्त मांडवा गांव में राजमिस्त्री का काम किया करते थे. वहां से निकलकर आज वो भारत के सबसे बेहतरीन लंबी दूरी के धावक बनकर सामने आए हैं. उनका यहां तक पहुंचने का जो सफर रहा है वह काफी संघर्ष भरा रहा है.
लंबी दूरी के धावक के रूप में खुद को तेज़ी से स्थापित किया
अविनाश ने अपने ऊपर खूब मेहनत की है. स्टीपलचेज़र अविनाश साबले इस समय भारत के सबसे बेहतरीन लंबी दूरी के धावक हैं. बता दें कि 2017 में एक दौड़ के दौरान सेना के कोच अमरीश कुमार ने उनकी तेज गति को देखा और फिर उन्हें स्टीपलचेज़ वर्ग में दौड़ने की राय दी. दौड़ने की श्रेणी बदलना अविनाश साबले के लिए काफी अहम रहा. उन्हें फिर लगातार उनको सफलता मिलने लगी. बता दें कि साल 2017 के फ़ेडरेशन कप में साबले पांचवें स्थान पर रहे थे और फिर चेन्नई में ओपन नेशनल में स्टीपलचेज़ राष्ट्रीय रिकॉर्ड से सिर्फ 9 सेकेंड दूर रहे थे. भारतीय सेना ने कैसे अविनाश साबले को एक एथलीट के रूप में तैयार किया
भारतीय सेना ने कैसे अविनाश साबले को एक एथलीट के रूप में तैयार किया
अविनाश साबले को 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती किया गया था और वह 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा थे. उन्हें सियाचिन, राजस्थान और सिक्किम में तैनात किया गया था. अपनी सेवा के पहले दो वर्षों में, अविनाश साबले ने दो चरम जलवायु परिस्थितियों का सामना किया. जहां सियाचिन का तापमान नियमित रूप से माइनस में चला जाता था, वहीं राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में यह 50 डिग्री तक पहुंच जाता था. साल 2015 में ही अविनाश साबले ने सेना के एथलेटिक्स कार्यक्रम में शामिल होने के बाद दौड़ के बारे में जानाकारी हासिल की. उन्हें शुरू में क्रॉस कंट्री प्रतियोगिताओं के लिए चुना गया था और उनकी प्रतिभा जल्द ही सामने आ गई.
भारतीय एथलीट ने सिर्फ़ एक साल तक ट्रेनिंग लिया था., उसके बाद साबले उस सेवा टीम का हिस्सा बन गए जिसने प्रतियोगिता जीती और व्यक्तिगत राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैम्पियनशिप में पांचवां स्थान हासिल किया था. अविनाश साबले को चोट लग गई और प्रशिक्षण की कमी के कारण उनका वज़न काफ़ी बढ़ गया. सेना में कुछ लोगों ने उन्हें कमतर आंका, लेकिन इससे उनकी महत्वाकांक्षा को बढ़ावा मिला. उस समय 24 वर्षीय इस खिलाड़ी ने जल्द ही 15 किलो से ज़्यादा वज़न घटाया और फिर से दौड़ना शुरू कर दिया. 2017 में एक दौड़ के दौरान, सेना के कोच अमरीश कुमार ने उनकी तीव्रता को देखा और उन्हें स्टीपलचेज श्रेणी में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया.
आलोचना भी झेलनी पड़ी
साबले ने ईएसपीएन से एक इंटरव्यू में कहा था, "स्टीपलचेज़ एक बहुत ही तकनीकी दौड़ है. इसलिए कई बार, मुझे कहा गया कि भारत में इस रिकॉर्ड को तोड़ना संभव नहीं है क्योंकि भारत में इस तरह की गति को हासिल करने वाला कोई नहीं है. इसलिए मुझे अपने लिए भी गति निर्धारित करनी पड़ी.
2018 की शुरुआत में ट्रेनिंग के दौरान अविनाश साबले का घुटना टूटा
साल 2018 में अविनाश साबले जब ट्रेनिंग कर रहे थे तो उनका घुटना टुट गया था. वह दौड़ने के लिए संघर्ष करने लगे थे. यही कारण था कि वह एशियाई खेल के लिए क्वालीफ़ाई नहीं कर पाए थे. लेकिन इसके बाद भी भी उन्होंने हिम्म्त नहीं हारी और लगातार खुद पर मेहनत करते रहे.
मेहनत कर की जबरदस्त वापसी, 0.12 सेकेंड का नेशनल रिकॉर्ड तोड़ इतिहास रचा
भुवनेश्वर में आयोजित साल 2018 ओपन नेशनल में अविनाश ने 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में 8: 29.88 का समय लेते हुए 30 साल के नेशनल रिकॉर्ड को 0.12 सेकेंड से तोड़ इतिहास रच दिया. इससे पहले ये रिकॉर्ड गोपाल सैनी ने 1981 के टोक्यो में आयोजित एशियाई चैंपियनशिप में बनाया था.
2019 दोहा का विश्व चैंपियनशिप में दो बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड
2019 दोहा का विश्व चैंपियनशिप में अविनाश ने शानदार परफॉर्मेंसकर अपना ही रिकॉर्ड दो बार तोड़कर तहलका मचा दिया था. हीट में वह अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय से तीन सेकेंड तेज दौड़े, हालांकि वह रेस विवादों से घिरी रही. फाइनल में क्वालीफाई नहीं करने के बाद भी उन्हें फाइनल खेलने का मौका मिला था. वहीं, फाइनल में सेना के इस जवान ने 8:21.37 का समय निकालकर एक बार फिर से राष्ट्रीय रिकॉर्ड को बेहतर बनाया और 13वें स्थान पर रहे और इसके परिणामस्वरूप टोक्यो 2020 के लिए क्वालीफाई किया
टोक्यों ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाए
विनाश साबले गुलजारा सिंह के बाद ओलंपिक में स्टीपलचेज स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय बने थे. आपको बता दें गुलजारा सिंह ने 1952 के खेलों में भारत की तरफ से भाग लिया था. टोक्यो 2020 में अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को फिर से बेहतर बनाने के बावजूद, अविनाश अपने ओलंपिक के फ़ाइनल में जगह बनाने में असफल रहे थे. साबले को 2022 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
अविनाश साबले की उपलब्धियां
- पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 8:11:20
- पुरुषों के 5000 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 13:19.30
- पुरुषों के हाफ मैराथन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 1:00:30
- पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में एशियन गेम्स रिकॉर्ड - 8:19:50
- पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में रजत पदक - दोहा 2019 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप
- पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में रजत पदक - बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेल
- पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में स्वर्ण पदक - हांगझोऊ 2023 एशियन गेम्स
- पुरुषों के 5000 मीटर में रजत पदक - हांगझोऊ 2023 एशियन गेम्स
- साल 2022 में अर्जुन अवार्ड - भारत में खिलाड़ियों को दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार
- लगातार सात बार 3000 मीटर स्टीपलचेज़ का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा
- 68 सालों में 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में ओलंपिक के लिए क्वालीफ़ाई करने वाले पहले भारतीय
स्टीपलचेज़ क्या है (What is steeplechase)
स्टीपलचेज़ एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें खिलाड़ियों को ट्रैक पर आने वाली बाधाओं को पार करना होता है तथा पानी में छलांग लगानी होती है। एथलेटिक्स में सबसे आम स्टीपलचेज़ स्पर्धा 3000 मीटर स्टीपलचेज़ है, जिसमें 35 बाधाएं शामिल हैं, जिसमें 28 स्थिर बाधाएं और सात जल कूद है.