मुंबई:
आदर्श हाउसिंग इमार घोटाले के तरह ही मुंबई में अब म्हाडा का आदर्श घोटाला सामने आया है. आरोप है कि म्हाडा ने सिर्फ 2 से 3 मंजिल की इजाजत लेकर 12 मंजिला इमारत बांध दी. अब मामला उजागर होने पर बीएमसी से उसे नियमित करने की मांग की गई है. मामला सांताक्रुज पूर्व कालिना का है. मुंबई उपनगर के पॉश इलाके में म्हाडा ने 12 मंजिला ईमारत खड़ी कर दी है. जबकि ए विंग में सिर्फ 3, बी और सी विंग में सिर्फ 2 मंजिल बनाने की इजाजत मिली है. हैरानी की बात है कि इस गोलमाल का आरोप किसी और पर नहीं, सरकारी गृहनिर्माण एजेंसी म्हाडा पर लगा है. पूर्व स्थानीय नगरसेवक ब्रायन मिरांडा की मानें तो सितंबर 2016 में वो इस मुद्दे को बीएमसी की स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग में उठा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. आरोप सिर्फ निर्माण में अनियमितता की नहीं, फ्लैट अलॉटमेंट में गड़बड़ी का भी है.
अमूमन म्हाडा इमारत बनाने के बाद लॉटरी से फ्लैट अलॉट करती या फिर अपनी शर्तों पर प्रस्तावित सोसायटी को जमीन दे देती है जिसपर सोसायटी खुद ही इमारत का निर्माण करती है. लेकिन इस मामले में म्हाडा ने सरकारी बाबुओं की प्रस्तावित हाउसिंग सोसायटी मैत्री को न सिर्फ जमीन दी बल्कि उस पर ईमारत भी बनवा दी, वो भी अवैध तरीके से.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि म्हाडा ने ऐसा पहली बार किया है और ये सब सरकारी बाबुओं की मिलीभगत का नतीजा है. अनिल गलगली ने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर अवैध मंजिलों को गिराने की मांग की है. आरटीआई से मिले दस्तावेजों के मुताबिक मैत्री सोसायटी में कुल 84 सदस्य हैं और ज्यादातर सरकारी पदों पर बैठे कई आईएएस और आईपीएस हैं. सोसायटी के एक सदस्य और आईएएस अफसर ने एनडीटीवी को बताया कि ईमारत का निर्माण म्हाडा ने करवाया है और मसला बीएमसी और म्हाडा के बीच है.
मैत्री सोसायटी या सदस्यों की इसमें कोई भूमिका नहीं है. इस बीच तकरीबन 36 करोड़ की लागत से बिल्डिंग बनकर लगभग तैयार हो चुकी है. सवाल है बिना बीएमसी की इजाजत के 12 मंजिला इमारत कैसे और किसकी शह पर बनी है? म्हाडा का कोई अधिकारी इस संबंध में बात करने को तैयार नहीं है. इस बीच सरकार में शामिल शिवसेना ने इसकी जांच की मांग की है.
शिवसेना विधायक सुनील प्रभु का कहना है कि पुरे मामले की जांच होनी चाहिए और अगर गलत हुआ है तो दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. अब मामला उजागर होने के बाद म्हाडा ने बीएमसी से इसे नियमित करने की मांग की है. हैरानी की बात है कि साल 2013 में तत्कालीन बीएमसी आयुक्त ने 10 मंजिला तक की इजाजत दे दी थी लेकिन बाद में उसे घटाकर ए विंग की 3 मंजिल तो बी और सी विंग की 2 मंजिल कर दी गई. बाउजूद इसके म्हाडा ने पूरे 12 मंजिल तक इमारत खड़ी कर दी.
अमूमन म्हाडा इमारत बनाने के बाद लॉटरी से फ्लैट अलॉट करती या फिर अपनी शर्तों पर प्रस्तावित सोसायटी को जमीन दे देती है जिसपर सोसायटी खुद ही इमारत का निर्माण करती है. लेकिन इस मामले में म्हाडा ने सरकारी बाबुओं की प्रस्तावित हाउसिंग सोसायटी मैत्री को न सिर्फ जमीन दी बल्कि उस पर ईमारत भी बनवा दी, वो भी अवैध तरीके से.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि म्हाडा ने ऐसा पहली बार किया है और ये सब सरकारी बाबुओं की मिलीभगत का नतीजा है. अनिल गलगली ने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर अवैध मंजिलों को गिराने की मांग की है. आरटीआई से मिले दस्तावेजों के मुताबिक मैत्री सोसायटी में कुल 84 सदस्य हैं और ज्यादातर सरकारी पदों पर बैठे कई आईएएस और आईपीएस हैं. सोसायटी के एक सदस्य और आईएएस अफसर ने एनडीटीवी को बताया कि ईमारत का निर्माण म्हाडा ने करवाया है और मसला बीएमसी और म्हाडा के बीच है.
मैत्री सोसायटी या सदस्यों की इसमें कोई भूमिका नहीं है. इस बीच तकरीबन 36 करोड़ की लागत से बिल्डिंग बनकर लगभग तैयार हो चुकी है. सवाल है बिना बीएमसी की इजाजत के 12 मंजिला इमारत कैसे और किसकी शह पर बनी है? म्हाडा का कोई अधिकारी इस संबंध में बात करने को तैयार नहीं है. इस बीच सरकार में शामिल शिवसेना ने इसकी जांच की मांग की है.
शिवसेना विधायक सुनील प्रभु का कहना है कि पुरे मामले की जांच होनी चाहिए और अगर गलत हुआ है तो दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. अब मामला उजागर होने के बाद म्हाडा ने बीएमसी से इसे नियमित करने की मांग की है. हैरानी की बात है कि साल 2013 में तत्कालीन बीएमसी आयुक्त ने 10 मंजिला तक की इजाजत दे दी थी लेकिन बाद में उसे घटाकर ए विंग की 3 मंजिल तो बी और सी विंग की 2 मंजिल कर दी गई. बाउजूद इसके म्हाडा ने पूरे 12 मंजिल तक इमारत खड़ी कर दी.
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