मध्यप्रदेश के सागर जिले के गौरझामर के घोसी पट्टी गांव निवासी प्रलहाद सिंह मानसिक रूप से बीमार थे और 23 साल पहले गलती से पाकिस्तान पहुंच गए थे. अटारी वाघा सरहद के जरिए वह भारत पहुंच रहा है. पाकिस्तान में 23 साल तक सजा काटने वाले प्रलहाद राजपूत की आज अटारी वाघा सरहद के जरिए रिहाई हुई. अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा के रास्ते उसे भारत लाया गया. मध्यप्रदेश के सागर जिले के गौरझामर के घोसी पट्टी गांव निवासी प्रह्लाद सिंह राजपूत तब 33 वर्ष के थे. वह अचानक घर से लापता हो गए. उनकी मानसिक हालत भी ठीक न थी. स्वजनों ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई, पर कई खोज खबर नहीं लगी.
2014 में पुलिस को जानकारी मिली कि प्रहलाद सिंह नामक शख्स पाकिस्तान की जेल में बंद है. पुलिस ने स्वजनों को इस बात की जानकारी दी. अब प्रलहाद सिंह राजपूत 56 वर्ष के हो चुके हैं. पुलिस व स्वजनों को यह जानकारी नहीं कि प्रहलाद सिंह पाकिस्तान कैसे पहुंच गए. करीब 23 वर्ष बाद आज प्रलहाद राजपूत की वतन वापसी हुई. करीब 23 वर्ष पहले वह गलती से पकिस्तान की हद में चला गया था और एकदम से गुम होने के बाद प्रलहाद के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई लेकिन कुछ पता नहीं चला.
2014 में उनके परिजनों को पता चला कि प्रहलाद इस समय पाकिस्तान की जेल में बंद है और आज करीब 23 सालों बाद उसकी सजा पूरी होने के बाद प्रहलाद को रिहा कर दिया गया. परिजनों के मुताबिक प्रहलाद मानसिक तनाव में है. पाकिस्तान की जेल में उस पर कहर ढाया गया है. वह बता नहीं पा रहा कुछ भी, लेकिन उन्हें खुशी है कि 23 साल बाद वह अपने भाई से मिल पाए है.
प्रहलाद के भाई वीर सिंह राजपूत ने बताया कि उनके भाई की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. वह लापता हो गया. बाद में पता चला कि वह पाकिस्तान की जेल में है. वहां उसे बहुत टॉर्चर किया गया. पहले वह ठीक से बोल पाता था, अब वह बोल भी नहीं पा रहा. प्रोटोकॉल ऑफिसर अरुण पाल का कहना है कि करीब 23 वर्षों बाद प्रहलाद को पाकिस्तान की जेल से रिहा कर अटारी वाघा सरहद के जरिए भारत भेज दिया गया है और प्रहलाद को लेने के लिए उसके भाई और कुछ रिश्तेदार वहां पहुंचे थे.