परसा ईस्ट कांता बासन कोयला खदान को चालू रखने की मांग तेज होने लगी है. इस खदान को आगे भी चालू रखने के लिए सरगुजा क्षेत्र के 7 गांवों के लोगों ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के आवास पर पहुंचे. इस दौरान सीएम से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन उन्होंने इस खदान को आगे भी चालू रखने के लिए ज्ञापन दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस खदान से उन्हें रोजगार मिलता है इसलिए इसे आगे भी चालू रखना चाहिए. बता दें कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के परसा ईस्ट एवं के बासेन कोयला खदान के संचालन हेतु भूमि उपलब्ध कराने के लिए शुक्रवार को एक प्रतिनिधिमंडल सीएम से मिलने पहुंचा. प्रतिनिधिमंडल ने 2 महीने से बंद खदान को शुरू करने के लिए सीएम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम पर ज्ञापन सौंपा है.
10 साल से किया जा रहा है इस खदान का संचालन
गौरतलब है की सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में पिछले 10 सालों से परसा ईस्ट कांता बासन कोयला खदान का संचालन किया जा रहा है. इस खदान के संचालन होने से खदान प्रभावित परिवारों के साथ-साथ स्थानीय लोगों का जीवन यापन होता है. ग्रामीणों का कहना है की वर्तमान में परसा ईस्ट कोयला खदान में खनन से जुड़े काम जमीन उपलब्ध ना होने के कारण खदान बंद होने के कगार पर है. बीते कुछ समय से खदान से बड़ी मशीनों को निकाला जा रहा है साथ ही खदान में काम करने वाले मजदूरों को भी बाहर निकाला जा रहा है. ऐसे में अब इलाके में रोजगार का संकट पैदा हो गया है.
100 बेड का अस्पताल भी बनाया जाना है
शुक्रवार को सीएम से मिलने गए ग्रामिणों ने कहा कि खदान खुलने से पहले उनकी आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब थी. इलाके में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव था. लेकिन जब से परसा ईस्ट एवं कान्ता बासन कोयला खदान चालू हुई है तब से क्षेत्र का विकास होना शुरू हुआ है. हजारों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है जिससे लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है. आने वाले समय में इलाके के लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें इसके लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के द्वारा 100 बेड का अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल खोला जाना है. इस अस्तपाल को साली गांव में बनाया जाना है. साथ ही कंपनी द्वारा खोले गए स्कूल में 10वीं कक्षा तक का संचालन किया जा रहा था वो इस वर्ष कक्षा 11वीं एवं 12वीं तक संचालित किए जाने की तैयारी भी है, जिससे इन गावों में रहने वाले बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे.
गांवों के विकास से लिए भी किया जा रहा है काम
सरगुजा के ग्राम घाटबर्रा से आए कृष्ण चंद यादव ने मीडिया को बताया कि राजस्थान राज्य विद्युत की खदान के लिए पांच गांव की ग्राम सभा 2009 में हुआ था. जिसमें तीन चार गांव को मुआवजा दिया गया था और वहां विकास कार्य भी चल रहा है. लेकिन हमारे गांव में ग्राम सभा न होने के कारण मुआवजा नहीं दिया गया. इसके लिए हम कई बार जिला कलेक्टर और क्षेत्रीय विधायक से मिलकर अनुरोध कर चुके हैं कि घाटबर्रा के हम सभी ग्रामवासी विस्थापन के लिए राजी हैं. इसलिए हमारे ग्राम में जल्द से जल्द ग्राम सभा कराकर हमें भी उचित मुआवजा दिया जाए.
"हमें रोजी-रोटी छीन जाएगी, ऐसा ना करें"
वहीं, ग्राम हरिहरपुर से आए उजितराम विश्वकर्मा ने कहा कि मेरी जमीन राजस्थान विद्युत निगम की खदान के लिए अधिग्रहित हुई थी और मुझे यहां नौकरी भी मिली है. जमीन न मिलने के कारण ही अभी कुछ महीने पहले खदान बंद हो गई थी लेकिन जिला कलेक्टर और विधायक जी के हस्तक्षेप के बाद शुरू हो गई है. लेकिन एक बार जमीन न होने के कारण खदान बंद होने वाली है और हमें नौकरी और रोजी रोटी की चिंता सताने लगी है. इसलिए हम यहां मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करने आए हैं की वे हमारी रोजी रोटी और जीवन यापन हेतु पीईकेबी खदान के सुचारु रूप से संचालन के लिए मदद करें।
गौरतलब है की ग्रामीण खदान को निर्बाध रूप से चलने के लिय कई बार आंदोलन कर जिले के कलेक्टर से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप चुके है. यही नहीं ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने तीन महीने पहले 21 अप्रैल 2023 के साथ साथ 24 अगस्त, 14 जून और 2 जून 2022 को भी राहुल गांधी और प्रदेश के मुखिया को पत्र लिखकर पीईकेबी खदान के सुचारु रूप से संचालन के लिए अनुरोध किया था.