छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Assembly) में शुक्रवार को राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंत्रालय परिसर में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की मूर्ति लगाने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और सदन में चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया. विधानसभा में भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने नवा रायपुर स्थित मंत्रालय परिसर में महात्मा गांधी की मूर्ति स्थापित करने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. अग्रवाल ने कहा कि नवा रायपुर के मंत्रालय (सचिवालय) में एक ऐसी घटना हुई है, जहां गांधी जी के सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी के लोगों ने गांधी जी को भी अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की भेंट इस बार इन्होंने (कांग्रेस ने) गांधी जी को ही चढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि नई राजधानी में स्थित मंत्रालय में लोगों को आदर्श की शिक्षा देने गांधी जी की प्रतिमा स्थापित की जानी थी, जिसके लिए नई मूर्ति बनवाने के बजाए एक पूरानी मूर्ति को लाकर उनका रंग रोगन करवाकर उस मूर्ति की स्थापना कर दी गई. उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्ट अधिकारी सरकार की आंख में धूल झोंककर लापरवाही का भरपूर फायदा उठा मनमानी पर उतारू हैं. अग्रवाल ने कहा कि जब महान व्यक्ति की प्रतिमा स्थापित की जाती है, तब नियमों का पालन किया जाता है, लेकिन ‘गुलाबी गांधी' (रुपये) के लिए वह गांधी जी को भी नहीं छोड़ रहे हैं.
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अग्रवाल ने कहा कि पुरानी मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था. भाजपा विधायक ने इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराए जाने की मांग. वहीं विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और अन्य विधायकों ने कहा कि मूर्ति को स्थापित करने के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया. उन्होंने दावा किया कि मूर्ति का बिल जो पेश किया गया, उसमें मूर्ति के निर्माण करने वाले या कलाकार के नाम पर नहीं बल्कि संस्कृति विभाग के कर्मचारी को ही भुगतान करने की अनुशंसा की गई.
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उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार स्वयं भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए. बाद में जब सभापति धर्मजीत सिंह ने भाजपा सदस्यों की मांग को अस्वीकार कर दिया, तब भाजपा सदस्यों ने सदन की समिति बनाकर इस मामले की जांच कराने की मांग की. सिंह ने जब इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग को अस्वीकार कर दिया, तब विपक्षी सदस्यों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी. बाद में सभापति ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी.
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