Makar Sankranti: जानें- क्यों उड़ाई जाती है पतंग, भगवान राम से जुड़ा है इतिहास

मकर संक्रांति पर देश के कई शहरों में पतंग उड़ाने की परंपरा है. इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर बाजार रंग-बिरंगे पतंगों से सजे नजर आते हैं. सभी लोग छत पर जाकर रंग- बिरंगी पतंग उड़ाते हैं.

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नई दिल्ली:

Makar Sankranti: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) हिन्‍दुओं का प्रमुख त्‍योहार है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. पंरपराओं के मुताबिक, इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी के साथ सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं. शादी से लेकर पूजा-पाठ तक सभी मंगल कार्य मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से शुरू कर दिए जाते हैं. इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है. इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा.

जहां इस मंगल कार्य शुरू कर दिए जाते हैं वहीं मकर संक्रांति पर देश के कई शहरों में पतंग उड़ाने की परंपरा है. इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर बाजार रंग-बिरंगे पतंगों से सजे नजर आते हैं. सभी लोग छत पर जाकर रंग- बिरंगी पतंग उड़ाते हैं.  

जानें- क्यों उड़ाई जाती है पतंग

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक महत्व

ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई थी. तमिल की तन्दनानरामायण के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन ही श्री राम ने पतंग उड़ाई थी और वो पतंग इन्द्रलोक में चली गई थी. भगवान राम की ओर से शुरू की गई इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है.

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