हाल ही में आ रही आरजे और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सिमरन सिंह (Simran Singh) के सुसाइड ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर नेम और फेम सब होने के बाद भी इंफ्लुएंसर्स सुसाइड क्यों करते हैं. इंफ्लुएंसर्स या सोशल मीडिया पर पॉपुलर लोगों के सुसाइड करने की खबरें आम होती जा रही हैं. कुछ समय पहले खुद से शादी रचाने वाली इंफ्लुएंसर और टिकटॉकर कुबरा अयकुत ने पांचवी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी थी, केरला के सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के सुसाइड का मामला भी सामने आया था. ऐसे में शोहरत की चकाचौंध दुनिया को पीछे छोड़कर इंफ्लुएंसर्स सुसाइड (Suicide) करना क्यों जरूरी समझते हैं यह बता रहे हैं एक्सपर्ट्स.
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इंफ्लुएंसर्स क्यों करते हैं सुसाइड | Why Do Influencers Commit Suicide
इंफ्लुएंसर्स के सुसाइड करने को लेकर फॉर्टिस अस्पताल के साइकाट्रिस्ट डॉ. समीर पारीख का कहना है कि, यह समझना जरूरी है कि सुसाइड को रोका जा सकता है. सुसाइड को अगर वैश्विक तौर पर देखा जाए तो हर साल हजारों लोग सुसाइड करके जान देते हैं. इनमें किसी एक पेशे के लोग नहीं होते बल्कि अलग-अलग बैकग्राउंड के लोग होते हैं. ऐसा नहीं है कि किसी एक ही पेशे में सुसाइड किसी कारणवश ज्यादा है या कम है. चाहे बुजुर्ग हों, युवा हों या फिर कम उम्र के लोग, सब में सुसाइड के मामले देखने को मिलते हैं. लेकिन, पहले से सुसाइड के लक्षण समझना और सुसाइड को रोकने की कोशिश करने की जरूरत होती है. मनोवैज्ञानिक तौर पर व्यक्ति को इन ख्यालों से निकालना और जितनी जल्दी मदद दी जा सके वो देना जरूरी है. साथ ही, इसके लिए जागरूकता फैलाना और सुसाइड रोकने की जानकारी फैलाना जरूरी है.
इसी विषय पर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मिमांसा सिंह तंवर का कहना है कि, यह जनसंख्या के सिर्फ एक हिस्से की बात नहीं है बल्कि अलग-अलग पेशे के लोग सुसाइड से जान देते हैं जिसकी वजह समान रहती है, चाहे वो लाइफ का प्रेशर हो, व्यक्ति का मेंटल हेल्थ कंडीशंस (Mental Health Conditions) से गुजरना हो, जब मदद की जरूरत हो तब मदद ना मांगना हो या फिर अपनी परेशानियों को किसी और से साझा करने में शर्मिंदगी महसूस करना हो. इसके साथ ही, जब व्यक्ति किसी से बात करता है तो उसमें दिखने वाले सुसाइड के लक्षणों को लोग पहचान नहीं पाते हैं.
मिमांसा कहती हैं कि जब इंफ्लुएसर्स या सेलेब्रिटीज की बात आती है तो उनके स्ट्रगल्स या जिन परेशानियों से वे जूझ रहे हैं, यह देखने में लोग नाकाम होते हैं क्योंकि लोग वही देखते हैं जो उन्हें पब्लिक प्लेटफॉर्म पर दिखाया जा रहा है. इंफ्लुएंसर्स की प्राइवेट और सोशल लाइफ के बीच गैप होता है जो वक्त के साथ गहराता जाता है. कई बार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रेशर भी उनके ऊपर रहता है. ऐसे में दूसरों से दूरी महसूस करने या तटस्थ रहने की भावनाएं बढ़ सकती हैं. जो लोग इन इंफ्लुएंसर्स से सोशल मीडिया (Social Media) पर जुड़ाव महसूस करते हैं या खुद को उनकी जिंदगी का हिस्सा समझने लगते हैं ये भूल जाते हैं कि इंफ्लुएंसर्स की सोशल मीडिया से अलग भी एक जिंदगी है और अपनी चुनौतियां हैं.