Teenagers Parenting Tips: बच्चों की अच्छी परवरिश पेरेंट्स की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. खासकर तब, जब बच्चे किशोरावस्था (Teenage) में पहुंच जाते हैं. उम्र की इस स्टेज पर पेरेंट्स (Parents) के लिए बच्चों को समझाना और समझना दोनों ही मुश्किल हो जाता है. इस उम्र के पड़ाव पर बच्चे समाज में सबसे ज्यादा अफेक्ट होते हैं. ऐसे में पेरेंट्स के लिए पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips) बेहद जरूरी हो जाती हैं. टीनएज में पेरेंट्स को अपने बच्चों के लिए सावधानी बरतने की जरूरत होती है, नहीं तो वो दूरियां बनाना शुरू कर देते हैं.
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बच्चों के दोस्त बनें
टीएनएज में बच्चे खुलकर जीने की चाह रखते हैं, क्योंकि यह उम्र का स्वीट फेज होता है, जिसमें सही-गलत का अंदाजा नहीं होता है. बस सबकुछ करना अच्छा लगता है. यहां तक कि वो अपने पेरेंट्स की सही बातों को गलत और बाहर वालों की गलत बातों को सही मानने की गलती कर बैठते हैं. ऐसे में पेरेंट्स को उनका दोस्त बनकर रहना चाहिए और उनका मन पढ़ना चाहिए. अगर बच्चे के प्रति सख्त रवैया अपनाएंगे वो चीजों को छिपाएगा और झूठ बोलना शुरू कर देगा.
सोचने की आजादी
टीनएज (13 से 19) तक की उम्र होती है. टीनएज की शुरुआती स्टेज पर पेरेंट्स को उन्हें सोचने और खुलकर जीने की आजादी देनी चाहिए. बात-बात पर टोकने की आदत बच्चे को चिड़चिड़ा बना सकती है. बच्चों को खुद से सोचने की आजादी दें. कपड़े पहनने, पढ़ने, खाने और दोस्तों के साथ टाइम बिताने में उन्हें रोकना-टोकना नहीं चाहिए.
बच्चों में घुले-मिलें
टीनएज लाइफ का वो दूसरा फेज है, जिसमें उनको शारीरिक और मानसिक बदलाव महसूस होते हैं. ऐसे में यह फेज मूड स्विंग वाला भी होता है. इसलिए उन्हें यहां इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है, खासकर लड़कियों के लिए. पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वो उनसे दूरी ना बनाए. उनसे इरिटेट ना हों, उनके पास बैठकर उनकी बातों को सुनें.
किन बातों का रखना हैं ध्यान?
- पहला यह है कि अपने बच्चे के फ्रेंड सर्कल पर नजर रखें. अगर बच्चा फ्रेंड सर्कल में आकर गलत संगत में पड़ गया तो उसका करियर ठप्प हो जाएगा.
- टीनएज फेज के बच्चों पर नजर बनाएं रखें कि मोबाइल में क्या-क्या कंटेंट देखता है. वो इसलिए क्योंकि आज के समय में मोबाइल चलाना बहुत आम हो गया है.
- समय-समय पर बच्चों के बैग की चुपचाप छानबीन करें. साथ ही अगर वो अपने अलग रूम में रहते हैं, तो जब वह बाहर हों, तो रूम और उनके सामान को अच्छे से चेक करें.
- इस उम्र के पड़ाव पर ज्यादा आजादी से देने से कई मामलों में बच्चे गलत राह भी पकड़ लेते हैं. इसलिए एक तरफ उनके दोस्त बनें और दूसरी तरफ डेडेक्टिव पेरेंट्स.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.