बच्चे के तुतलाने की समस्या 100% हो जाएगी जड़ से खत्म, आचार्य अरूण ने बताया आयुर्वेद में है उपचार

Solution of Stammer: कुछ बच्चों तुतलाते की समस्या रह जाती है. इस समस्या के उपचार के लिए स्पीच थेरेपी की जाती है लेकिन मर्म चिकित्सा की मदद से भी इसे दूर करने में मदद मिल सकती है. 

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बोलने की शक्ति लौटाए मर्म चिकित्सा.

Solution of Stammer: जहां छोटे बच्चों की तोतली बोली सभी का दिल जीत लेती है वहीं बड़े होने पर यह समस्या बन जाती है. अधिकतर बच्चे समय के साथ साफ बोलने लगते हैं लेकिन कुछ बच्चों तुतलाते की समस्या रह जाती है. इस समस्या के उपचार के लिए स्पीच थेरेपी (Kya Hi Tutlane Ki Samasya Ka Karan) की जाती है लेकिन मर्म चिकित्सा की मदद से भी इसे दूर करने में मदद मिल सकती है. हाल ही मर्म चिकित्सक आचार्य अरुण ने एक रियल लाइफ केस शेयर करते हुए बताया कि जीभ के ऐंठन की समस्या ( Kyu Hoti Hai Tutlane Ki Samasya) के कारण तोतलपन की शिकार बच्ची के ट्रीटमेंट में मर्म चिकित्सा से काफी मदद मिली और कुछ समय तक आवश्यक मर्म पॉइंट को एक्टीवेट करने से उसके बोलने की क्षमता में काफी सुधार आ गया. अब उसे बोलते सुनकर यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि कभी उसे तुतलाने की समस्या थी. इंस्टाग्राम पर bhavishyawaanipodcast अकाउंट ने आचार्य अरुण के साथ इस बातचीत का वीडियो पोस्ट किया है. आइए जानते हैं मर्म चिकित्सा में कैसे किया जाता है तुतलाने की समस्या का उपचार (Marma Chikisha Me Tutlane Ka Upchar)

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मर्म चिकित्सा में तुतलाने की समस्या का उपचार (Solution of Stammering problem with help of Marma) 

आचार्य अरुण ने बताया कि कई बच्चों को तुतलाने या हकलाने की समस्या होती है. मर्म चिकित्सा में इसके उपचार के लिए मुंह के ऊपर दो पाइंट को एक्टीवेट किया जाता है. इन दोनों पाइंट को श्रींगटक मर्म पाइंट कहते हैं. ये मुंह के ऊपर नाक और ऊपरी होंठ के मिलने वाली जगह और मुंह के नीचे टुड्‌डी और होंठ के मिलने वाली जगह पर होती है. इन दोनों पाइंट को एक्टीवेट करने से बोलने में होने वाली तुतलाहट की समस्या धीरे धीरे ठीक हो जाती है. 
 

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तुतलाने और हकलाने में अंतर

तुतलाने और हकलाने के उपचार के लिए दवा नहीं दी जाती बल्कि स्पीच थेरेपी की मदद ली जाती है. कभी कभी इसके लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है. खासकर अगर जीभ की शेप या साइज गड़बड़ है तो सर्जरी की जाती है. वैसे तुतलाने और हकलाने में अंतर होता है. अक्षरों के उच्चारण की समस्या होना और साफ नहीं बोल पाना, 'र' को 'ड़' या 'ल' बोलना तुतलाने की समस्या है. जबकि रुक-रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार-बार बोलना, तेज बोलना, बोलते हुए आंखें भींचना, होठों में कंपकपाहट होना, जबड़े का हिलना जैसी समस्या हकलाने की परेशानी होती है. 
  

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तुतलाने के कारण  

टंग टाई 

कुछ बच्चों में जीभ के तालु में ज्यादा चिपके रहने के कारण तुतलाने की समस्या होती है.
सुनने में दिक्कत 
कुछ बच्चों में सुनने की समस्या के कारण सही शब्द नहीं समझ पाने के कारण तुतलाने की समस्या होती है. 
आईक्यू कम होना
आईक्यू कम होने के कारण भी कुछ बच्चों में तुतलाने की परेशानी होती है.
आदतन, मसलन बच्चा तुतलाकर बोलता है और बड़े लोग भी प्यार में वैसे ही बोलने लगते हैं तो बच्चे और ज्यादा तुतला कर बोलने लगता है. 

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ऐसे करें बच्चे की मदद 
  • तुतलाने वाले बच्चे की नकल बिल्कुल न करें. ऐसा करने से बच्चों को लगता है कि बोलने का यही तरीका सही है और यह उसकी आदत बन जाती है.  
  • बच्चे गौर से बातें सुनने के लिए प्रेरित करें ताकि वह हर शब्द को सही तरीके से बोलने का तरीका सीख सके. 
  • बच्चे को धीरे धीरे शब्दों को सही तरीके से बोलना सिखाएं. गलत तरीके से बोले गए शब्दों का ठीक से उच्चारण कर उन्हें बताएं.

प्रस्‍तुत‍ि: रोह‍ित कुमार

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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