शिक्षक दिवस पर जानिए उन 4 महिलाओं के बारे में जिन्होंने महिला शिक्षा को दिया बढ़ावा

Girl education : आज इस लेख में हम उन 4 महिला शिक्षिकाओं के बारे में बात करेंगे जिन्होंने महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई. जिन्होंने लोगों को लड़कियों को घर से निकलकर स्कूल जाने के लिए जागरुक किया. लोगों को समझाया उनका पढ़ा लिखा होना कितना महत्वपूर्ण है.

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Women teachers : सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख, बेगम जफर अली, कादंबिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु.

Teacher's day 2022 : आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. आज के दिन लोग अपने गुरुओं को उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए धन्यवाद देते हैं. अपने-अपने तरीके से उन्हें अहसास दिलाते हैं कि वो उनके जीवन में कितना महत्व रखते हैं. कोई संदेश के माध्यम से तो कोई तोहफे देकर अपने गुरु को विशेष होने का अहसास दिलाते हैं. अब तक हम लोग टीचर्स डे (teacher day) पर उसके इतिहास और महत्व और क्यों मनाया जाता है उसी के बारे में बात करते हैं. लेकिन आज इस लेख में हम उन 4 महिला शिक्षिकाओं के बारे में बात करेंगे जिन्होंने महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई. जिन्होंने लोगों को लड़कियों को घर से निकलकर स्कूल जाने के लिए जागरुक किया. लोगों को समझाया लड़कियों का पढ़ा लिखा होना कितना महत्वपूर्ण है, तो चलिए आज इस लेख में हम उन महिला शिक्षिकाओं के बारे में जानते हैं.

महिला शिक्षा में महिलाओं का योगदान

सावित्रीबाई फुले

महिलाओं की शिक्षा को लेकर पहले लोग बहुत गंभीर नहीं थे. उनके लिए लड़कियां केवल चूल्हे चौके के लिए ही बनी हैं. ऐसे में सावित्री बाई फुले जैसी क्रांतिकारी महिलाएं सामने आईं और लोगों को समझाया की एक लड़की का पढ़ा लिखा होना समाज औऱ परिवार के विकास में कितना महत्व रखता है.  भारत में सावित्रीबाई को पहली महिला स्कूल शिक्षक माना जाता है.

फातिमा शेख

फातिमा शेख भी इस श्रेणी में आती हैं जिन्होंने घर-घर जाकर लोगों को समझाया कि लड़कियों वा महिलाओं का पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी है. यह सावित्राबाई फुले की सहयोगी के रूप में साथ थीं. फातिमा पुणे की भिड़ेवाड़ा स्कूल में लड़कियों पढ़ाने का काम किया करती थीं.

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कादंबिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु

ये वो दो महिलाएं ब्रिटिश शासन काल में पहली महिला थीं जिन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की. कादंबिनी भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं जिन्होंने 1886 में कलकत्ता से मेडिकल की डिग्री ली.

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बेगम जफर अली

यह एक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् थीं. बेगम 1930 में कश्मीर की पहली महिला बनीं जिन्होंने मैट्रिक्स पास की. उन्होंने महिलाओं को पढ़ाने लिखाने के लिए घर-घर जाकर लोगों को समझाया. इसका महत्व बताया.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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