Explainer: शादी के बाद हनीमून पर गए कपल की अलग-अलग तस्वीरें परिवार और दोस्तों को देखने को मिलती हैं, लेकिन गुमशुदगी और फिर कत्ल की खबर सुनने की शायद ही कोई कल्पना कर सकता है. राजा रघुवंशी (Raja Raghuvanshi) और सोनम रघुवंशी (Sonam Raghuvanshi) मेघालय अपने हनीमून के लिए गए थे जहां राजा रघुवंशी का कत्ल किया गया जिसके मुख्य आरोपी के रूप में सोनम हिरासत में है. बताया जा रहा है कि इस कत्ल की साजिश को सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ रचा था और 3 लोगों को सुपारी देकर अंजाम दिया गया. इस पूरे मामले में सोनम को जानने और समझने की कोशिश की जा रही है, उसकी मनोस्थिति को समझने का प्रयास किया जा रहा है कि उसके दिमाग में कत्ल करने की उपज कहां से आई. एक तरफ किसी दोस्त का बयान है कि सोनम ऐसा कुछ कर ही नहीं सकती, किसी का कहना है कि सोनम गुस्सैल स्वभाव की थी तो किसी तीसरे से कुछ और सुनने को मिलता है. ऐसे में सोनम के व्यवहार को और इसी तरह के और लोगों की मनोस्थिति को समझने के लिए एनडीटीवी ने मनोवैज्ञानिक और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा की मनोवैज्ञानिक विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पायल चंदेल से बात की. आइए जानते हैं साइकोलॉजिस्ट का इसपर क्या कहना है और इस मामले को साइकोलॉजी की नजर से वे कैसे देखती हैं.
दोहरी पर्सनैलिटी नहीं कहा जा सकता
साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि सोनम रघुंवशी की मनोस्थिती सही नहीं थी यह कहा जा सकता है लेकिन उसे डुअल पर्सनैलिटी डिसोर्डर है ऐसी चीजें नहीं कह सकते. व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों और दूसरे लोगों के सामने अलग हो सकता है, यह उसकी पर्सनैलिटी (Personality) का हिस्सा हो सकता है.
साइकोलॉजिस्ट बताती हैं, "DSM-5 (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders) के अनुसार, डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (DID)—जिसे पहले मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर कहा जाता था में व्यक्ति दो या अधिक अलग-अलग पहचान या व्यक्तित्व विकसित कर सकता है, जिनका अपना नाम, व्यवहार, सोचने का तरीका और भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है. इस विकार में व्यक्ति को अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं, व्यक्तिगत जानकारी या रोजमर्रा की गतिविधियों को भूलने की समस्या हो सकती है, जिससे उनकी याददाश्त में अंतराल आता है. पहचान में अचानक बदलाव देखा जा सकता है, जहां व्यक्ति का व्यवहार, सोच और भावनाएं अनायास बदल सकती हैं. वास्तविकता से अलगाव महसूस करना भी एक प्रमुख लक्षण होता है, जिसमें व्यक्ति को ऐसा लगता है कि वह खुद को बाहरी दृष्टिकोण से देख रहा है या उसके आसपास की दुनिया असली नहीं लग रही. यह विकार व्यक्ति के सामाजिक, पारिवारिक और पेशेवर जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और मानसिक तनाव या सामाजिक कठिनाइयों का कारण बन सकता है. DSM एक मानक गाइड है जिसे American Psychiatric Association (APA) द्वारा प्रकाशित किया जाता है. यह मानसिक विकारों की पहचान, वर्गीकरण और उपचार के लिए उपयोग किया जाता है."
सोनम को लेकर यह कहा जा सकता है कि वह अपने रिश्ते में खुश नहीं थी, वह किसी और को चाहती थी या अपने पति को नहीं चाहती थी जिसकी वजह से शायद अपनी शादी से भी निराश थी. रही बात दोस्तों के बयानों कि तो व्यक्ति उम्र के साथ-साथ बदलता भी है, व्यक्ति के ख्याल और विचार दोनों में बदलाव आता है. कई बार व्यक्ति परिवार के सामने कोई और होता है और दोस्तों के साथ कोई और, शायद सोनम को लेकर अलग-अलग बयानों की वजह यही हो सकती है.
साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि व्यक्ति अगर किसी से शादी करने जा रहा हे तो उसका सतर्क होना बेहद जरूरी है. डॉ. चंदेल कहती हैं, "सोनम रघुवंशी केस (Sonam Raghuvanshi Case) ने यह दिखाया कि शादी से पहले सतर्कता बरतना कितना जरूरी है. अगर आप शादी की योजना बना रहे हैं, तो शादी से पहले अपने पार्टनर के पिछले रिश्तों, व्यवहार और जीवनशैली के बारे में जानना जरूरी है. कभी-कभी बाहरी लोग किसी व्यक्ति के बारे में बेहतर समझ रखते हैं. उनके विचारों को नजरअंदाज न करें. अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक गुस्सैल, अस्थिर या हेरफेर करने वाला है, तो सतर्क रहें. अगर शादी के करीब आते ही व्यक्ति का व्यवहार अचानक बदल जाए, तो यह चिंता का विषय हो सकता है."
अरैंज मैरिज होने के बाद या कई बार प्रेम विवाह के बाद भी कपल एकदूसरे को हर दिन समझने की कोशिश में होते हैं. ऐसे में अगर किसी तरह का रेड फ्लैग (Red Flag) नजर आए तो उसपर समय रहते ध्यान देना जरूरी है. डॉ. चंदेल का कहना है, "रिश्तों में रेड फ्लैग्स यानी चेतावनी संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है, ताकि आप किसी अस्वस्थ या विषाक्त संबंध में फंसने से बच सकें. जब कोई रिश्ता आपको भावनात्मक रूप से कमजोर करने लगे या आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए, तो यह संकेत हो सकता है कि वह रिश्ता आपके लिए सही नहीं है.
साइकोलॉजिस्ट डॉ. पायल चंदेल
"अगर आपका साथी बातचीत से बचता है, आपकी भावनाओं को नजरअंदाज करता है या हर बार आपको ही दोषी ठहराता है, तो यह एक रेड फ्लैग हो सकता है. इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा नियंत्रित करने की कोशिश करता है, आपकी गतिविधियों पर नजर रखता है या आपको दूसरों से दूर करने की कोशिश करता है, तो यह भी एक चेतावनी संकेत है.
"रिश्तों में गैसलाइटिंग यानी आपको अपनी ही काबिलियत पर शक करवाना, भावनात्मक शोषण, और अपराधबोध का इस्तेमाल करके आपको नियंत्रित करना भी रेड फ्लैग्स में शामिल हैं. अगर आपका साथी अचानक व्यवहार बदलता है, कभी बहुत प्यार जताता है और कभी पूरी तरह अनदेखा करता है, तो यह भी एक चेतावनी संकेत हो सकता है.
"अगर आपको लगता है कि आपका रिश्ता असंतुलित है, जहां सिर्फ एक व्यक्ति की इच्छाएं और जरूरतें पूरी हो रही हैं, तो यह सोचने का समय है कि क्या यह रिश्ता आपके लिए सही है. स्वस्थ रिश्ते सम्मान, विश्वास और पारस्परिक समझ पर आधारित होते हैं. अगर इनमें से कोई भी चीज लगातार गायब हो रही है, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है."
जैसे विवाह से पूर्व मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र या जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता एक आम प्रक्रिया बन चुकी है, उसी अब मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और विवाह पूर्व काउंसलिंग (Pre-Marital Counseling) को भी कानूनी रूप से अनिवार्य कर देना चाहिए. वर्तमान समय में वैवाहिक जीवन में बढ़ती असहिष्णुता, भावनात्मक असंतुलन और घरेलू अपराधों को देखते हुए यह कदम बेहद आवश्यक है. यदि समय रहते मानसिक स्वास्थ्य का उचित मूल्यांकन और काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए, तो समाज को अपराधमुक्त, सहिष्णु और भावनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है.