Benefits Of Shivling Mudra: योग में अनेक मुद्राएं (Yog Mudra Kitni Hain.) हैं जो हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती हैं. इन्हीं मुद्राओं में से एक है शिवलिंग मुद्रा (Shivling Mudra Kya Hai). यह मुद्रा न केवल शरीर में ऊर्जा का संचार करती है बल्कि मेंटल बैलेंस बनाए रखने में भी काफी मददगार होती है. चलिए आपको सरल भाषा में समझाते हैं कि शिवलिंग मुद्रा के फायदे क्या हैं और इसे करने का सही तरीका क्या है.
शिवलिंग मुद्रा क्या है और उसके फायदे (Shivling Mudra And Its Benefits)
1. शिवलिंग मुद्रा क्या है?
शिवलिंग मुद्रा एक विशेष योगिक हस्त मुद्रा कही जाती है. जिसका नाम भगवान शिव के प्रतीक 'शिवलिंग' से लिया गया है. इस मुद्रा को करते समय बाएं हाथ की हथेली को ऊपर की ओर खोलकर गोद में रखा जाता है. दाएं हाथ की मुट्ठी बनाकर अंगूठा ऊपर की ओर रखते हुए इसे बाएं हाथ की हथेली पर रखा जाता है.
यह मुद्रा शिवलिंग का प्रतीक मानी जाती है. इसे ध्यान या प्राणायाम के दौरान करीब 10 से 15 मिनट तक किया जा सकता है.
2. शरीर में ऊर्जा और गर्माहट का संचार
शिवलिंग मुद्रा का नियमित अभ्यास शरीर में गर्माहट लाता है. जिससे ठंड, जुकाम, थकान और लो एनर्जी जैसी समस्याओं में राहत मिलती है. अगर आपको बार-बार सर्दी-खांसी होती है या शरीर में गर्माहट कम लगती है, तो यह मुद्रा आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है.
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता और मेंटल पावर में बढ़ोतरी
इस मुद्रा का नियमित अभ्यास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है. मानसिक थकान, नकारात्मकता और तनाव को दूर करके यह मन को स्थिर और सकारात्मक बनाता है. डिप्रेशन या चिंता से जूझ रहे लोगों के लिए यह मुद्रा मानसिक मजबूती का बड़ा सोर्स बन सकती है.
4. डाइजेशन प्रोसर और वेट कंट्रोल में सहायक
शिवलिंग मुद्रा डाइजेशन की प्रोसेस को एक्टिव करती है. जिससे गैस, इनडाइजेशन और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है. इसके अलावा शरीर में गर्माहट लाने के कारण यह मुद्रा मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाती है. जो वजन कम करने में सहायक हो सकती है.
5. शिवलिंग मुद्रा करते समय ध्यान देने योग्य बातें
• इस मुद्रा को 15 मिनट से अधिक न करें, क्योंकि यह शरीर में अधिक गर्मी पैदा कर सकती है.
• हाई बीपी, बुखार या शरीर में पहले से गर्मी की समस्या होने पर इस मुद्रा का अभ्यास योग विशेषज्ञ की सलाह से करें.
• गर्मियों में इस मुद्रा का अभ्यास सुबह या सूर्यास्त के समय करना उचित होता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.