Parenting Tips: बच्चों को जन्म के महीनों बाद सॉलिड फूड्स यानी ठोस आहार देने की शुरूआत होती है. पहले बच्चा सिर्फ दूध पीता है और फिर उसे धीरे-धीरे फल, सब्जियां और अनाज दिया जाने लगता है. लेकिन, माओं के सामने बड़ी दिक्कत तब आती है जब बच्चे को चीनी या नमक (Salt) देने की बात आती है. खासतौर से नमक देने को लेकर चिंता होती है. बच्चे को अगर समय से पहले नमक दिया जाने लगे तो शरीर में सोडियम बढ़ सकता है. वहीं, बच्चों की किडनी इतनी डेवलप्ड नहीं होती कि नमक को फिल्टर कर सके. ऐसे में छोटे बच्चे को नमक देने की सही उम्र और सही मात्रा पता होना बेहद जरूरी है. यहां जानिए बच्चों डॉक्टर यानी पीडियाट्रिशियन (Pediatrician) डॉ. माधवी भारद्वाज का क्या कहना है.
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बच्चे को नमक देने की सही उम्र और मात्रा
डॉ. माधवी का कहना है कि बच्चे के जन्म के पहले साल में बच्चे को दिनभर में सिर्फ एक ग्राम नमक दिया जाना चाहिए. बच्चे को मां का दूध, फॉर्मूला दूध या ऊपर का दूध और सामान्य खाने-पीने से ही उसका सोडियम (Sodium) इंटेक पूरा हो जाता है. ऐसे में आपको पहले साल में उसके खाने में अलग से नमक डालने की जरूरत नहीं है. एक साल की उम्र का होने के बाद ही बच्चे को नमक दिया जा सकता है वो भी दिनभर में 1 से 2 ग्राम, उससे ज्यादा नहीं.
एक साल से छोटे बच्चे को नमक क्यों नहीं देना चाहिए इसपर पीडियाट्रिशियन की सलाह है कि आप बच्चे को जिस स्वाद का खाना देंगे बच्चा उसी टेस्ट को डेवलप करने लगता है. अगर बच्चे को नमकीन खाना दिया जाएगा तो उसे नमकीन चीजें (Salty Foods) खाने की आदत हो जाएगी. इससे वो दिन दूर नहीं रहेगा जब बच्चा चिप्स, नमकीन, मैगी और बर्गर वगैरह तो खूब स्वाद लेकर खाएगा लेकिन घर के नॉर्मल लॉ सॉल्ट खाने के लिए टेस्ट डेवलप नहीं कर पाएगा.
कई स्टडीज यह भी बताती हैं कि बच्चे को जन्म के पहले साल में जितना ज्यादा नमक दिया जाएगा उतना ही भविष्य में उसके हाइपरटेंशन या ब्लड प्रेशर की संभावना ज्यादा होती है.
बच्चे की छोटी और डेवलप हो रही किडनी को जितना ज्यादा नमक मिलेगा उतना ही उनपर लोड पड़ेगा क्योंकि किडनी को ही यह सारा नमक फिल्टर करना पड़ता है.
बच्चों के लिए कम नमक वाले खाने की तो बात हो रही है लेकिन डॉक्टर का कहना है कि बच्चे की नमक की मात्रा का तो ध्यान रखें ही साथ ही अपने सॉल्ट इंटेक पर भी ध्यान दें ताकि आपको भविष्य में दवाइयों का सहारा ना लेना पड़े.