Latest Research: जब हम कहते हैं कि दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालो सिर दुखने लगेगा, तो क्या सच में सोचने की वजह से थकावट और सिर में दर्द महसूस होने लगता है? असल में इसका जवाब आप खुद वैज्ञानिकों से जान सकते हैं. हालिया रिसर्च में सामने आया है कि यदि आप अपने दिमाग का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो आपको थकावट (Fatigue) होने लगेगी और किसी तरह का निर्णय लेना आपके लिए मुश्किल हो सकता है.
इस स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने काम करने वाले 2 अलग तरह के लोगों के ग्रूप्स का विश्लेषण किया. एक ग्रूप को आसान काम दिया गया और दूसरे ग्रूप को समान कार्य का कठिन हिस्सा पकड़ाया गया. जिन लोगों को जटिल और मुश्किल टास्क (Cognitive Assignments) दिए गए थे उनमें थकान और आंखों की पुतलियों के फैलाव जैसे लक्षण देखे गए.
ब्लूमबर्ग की इस रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस के पिटी-सालपेट्रियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग कर पाया कि कठिन और हाई डिमांडिंग काम (High Demanding Work) से ग्लूटामेट बनता है जोकि एक प्रकार का केमिकल है जिसका इस्तेमाल नर्व सेल्स अन्य सेल्स यानी कोशिकाओं, जो दिमाम के प्री-फ्रंटल कॉर्टेर्स में होती हैं, तक सिग्नल पहुंचाती हैं. इस केमिकल के बढ़ जाने और इसे मैनेज करने की प्रक्रिया के चलते दिमाग (Brain) की निर्णय लेने की शक्ति पर प्रभाव पड़ने लगता है और थकावट जैसी स्थिति पैदा होती है.
इस अध्ययन के लेखकों में से एक माथियास पेसिग्लिओन ने कहा कि पिछली जितनी थियोरी थी उनके अनुसार थकावट दिमाग का एक भ्रम मात्र थी जो हमें इस बात का संकेत देता थी कि आप जो भी कर रहे हैं उस काम को रोक दें. माथियास आगे बताती हैं, "लेकिन हमारी खोजबीन का परिणाम यह निकला कि सचमुच संज्ञात्मक या कठिन कार्य करने से दिमाग में कार्यात्मक परिवर्तन होता है, तो थकावट एक तरह का संकेत है कि हमें काम करना रोक देना चाहिए लेकिन वजह कुछ और है, असल वजह है कि दिमाग को ठीक तरह से काम करने देने और सामान्य फंक्शन को अखंडित रखने के लिए हमें रुक जाना है.
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि दिमाग के प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स में रासायनिक परिवर्तनों की निगरानी के व्यवहारिक परिणाम हो सकते हैं, जैसे काम करने की जगह पर पूरी तरह दिमाग के थक जाने या बर्नआउट हो जाने से पहले ही इस गंभीर थकान का पता लगाना.