बहनें भाइयों को राखी में 'बीज' बांधती हैं, त्योहार के बाद उस बीज को बोया जाता है, जानिए इस स्पेशल Rakhi के बारे में

Seed Rakhi: रक्षाबंधन पर यूं तो भाई की कलाई पर तरह-तरह की राखी बांधी जाती है. लेकिन, यहां जिस राखी का जिक्र किया जा रहा है उसे आप सिर्फ भाई की कलाई पर ही नहीं बांधेंगी बल्कि वह पर्यावरण के लिए भी उपहार होगी.

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Raksha Bandhan Special Rakhi: रक्षाबंधन पर पर्यावरण को भी मिलेगी सौगात.

Raksha Bandhan 2025: भाई-बहन का रिश्ता बेहद पवित्र होता है, खास होता है, प्यार और तकरार से भरा होता है. भाई अपनी बहन के लिए दुनिया की हर मुसीबत से लड़ जाता है और बहन भाई के लिए अपने प्राण न्योछावर करने से नहीं झिझकती. इसी अटूट बंधन को समर्पित है रक्षाबंधन का त्योहार. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी (Rakhi) बांधती हैं. रक्षाबंधन पर तरह-तरह की राखियां बाजार में बिकती हैं. ये राखियां बेहद सुंदर भी होती हैं और अलग-अलग रंग, आकार और डिजाइन में उपलब्ध भी होती हैं. लेकिन, आमतौर पर राखी को कुछ दिन पहनकर उतार दिया जाता है. लेकिन, कुछ ऐसी भी स्पेशल राखियां हैं जिन्हें मिट्टी में बोया जा सकता है और पर्यावरण को खास सौगात दी जा सकती है.

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बीज वाली राखी पर्यावरण के लिए सौगात

राखी को बीज कहा जाता है, कहते हैं बहनें भाई की कलाई पर बीज बांधती हैं. लेकिन, बाजार में आने वाली कुछ ऐसी भी इको फ्रेंडली राखियां (Eco Friendly Rakhi) हैं जिनमें सचमुच बीज होता है. इन राखियों को रक्षाबंधन मना लेने के बाद अगर मिट्टी में बोया जाए तो इनसे पौधा उग जाता है. इन राखियों को सब्जियों के बीजों या अनाज के बीजों से बनाया जाता है. जब इन्हें मिट्टी में गाढ़ा जाता है तो ये बढ़ने लगते हैं. ये बहन और भाई के बढ़ते प्रेम का प्रतीक होते हैं और समय के साथ उपजते हैं.

'सीड मदर' बनाती हैं ये राखियां

राहीबाई सोमा पोपेरे को सीड मदर (Seed Mother) की उपाधि मिली है. राहीबाई और उनके साथ महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोंभालने गांव की अन्य महिलाएं इन सीड राखियों को बनाती हैं. इन राखियों को वे राज्य मंत्रियों को भेजती हैं. राहीबाई का कहना है कि ये राखियां बहन और भाई के प्यार ही नहीं बल्कि धरती से उनके जुड़ाव का प्रतीक भी हैं.

राहीबाई ने अपने छोटे से मिट्टी के घर में सीड बैंक बनाया था जहां वे शुद्ध बीजों को ही रखती थीं. अब जगह कई एकड़ में फैल गई है. उनके यहां से ही अनेक किसान साल-दर-साल बीज लेकर जाते रहे हैं. इन बीजों में मिलेट्स, दाल, तेल, बींस और धान के बीज शामिल हैं. साल 2021 में राहुबाई को कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए चौथे सर्वोच्च नागरिक राष्ट्रीय पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है. 

ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं ये राखियां 

सीड राखी यानी बीज वाली राखियां बहुत से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं. इंस्टाग्राम पर भी कुछ अकाउंट्स हैं जिनपर इस तरह की राखियां बेची जाती हैं. आप चाहे तो खुद भी बीजों से घर पर ही राखी बना सकती हैं. 

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