राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने किया आर्ट ऑफ लिविंग के 10 वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन का उद्घाटन

"सभी को अपनी बात रखने और अभिव्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण और समर्थन प्रणाली बना कर ही आप इस विषय पर चुप्पी तोड़ सकते हैं. मानसिक शक्ति के बिना बाधाओं और रूढ़ियों को तोड़ना संभव नहीं है."

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आज की इस प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मानवीय मूल्य बरकरार रहें- द्रौपदी मुर्मू

Art of living  10 edition inauguration :  भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के 10वें संस्करण के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया. उन्होंने 50 देशों की 500 से अधिक प्रतिनिधियों को प्रेरित करते हुए, हर महिला को अपने भीतर की शक्ति, गुण और प्रतिभाओं को पहचानने और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रेरित किया. इस दौरान श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर और आर्ट ऑफ लिविंग ने दुनिया भर के लोगों को ध्यान और मानवीय सेवाओं के माध्यम से आंतरिक शांति पाने के लिए प्रेरित किया है.

आज की इस प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मानवीय मूल्य बरकरार रहें. यहीं पर महिलाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वे करुणा और दयालुता के साथ नेतृत्व करती हैं.

 माननीय राष्ट्रपति ने मानसिक स्वास्थ्य पर काम करने की आवश्यकता पर कहा, "सभी को अपनी बात रखने और अभिव्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण और समर्थन प्रणाली बना कर ही आप इस विषय पर चुप्पी तोड़ सकते हैं. मानसिक शक्ति के बिना बाधाओं और रूढ़ियों को तोड़ना संभव नहीं है."

"विशेष रूप से 'जस्ट बी' थीम पर आधारित इस सम्मेलन ने जीवन की चुनौतियों का सामना करने और दुनिया में सार्थक बदलाव लाने के लिए सजग रूप से ठहराव, संतुलन, आत्म-स्वीकृति और लचीलेपन को अपनाने की अपील की."

वहीं, अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के प्रेरणास्त्रोत, वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने कहा, “हम किसी भी महिला की आंखों से एक भी आंसू नहीं गिरने दे सकते.” उन्होंने कहा कि एक सकारात्मक वातावरण से प्रगति होती है, और एक महिला की उपस्थिति से ही वातावरण खुशहाल और सकारात्मक हो जाता है.

उन्होंने कहा, “महिलाओं की भावनाएं एक आशीर्वाद है क्योंकि यह भावनात्मक शक्ति ही है जो उन्हें लोगों को एकजुट करने की क्षमता देती है. शायद अगर महिलाएं दुनिया के प्रमुख देशों में नेतृत्व की भूमिका निभाएं, तो जो संघर्ष, विवाद, युद्ध और विभिन्न सामाजिक विकृतियां हम आज देखते हैं, वे कम हो सकती हैं या यहां तक कि समाप्त हो सकती हैं.”

गुरुदेव ने यह भी कहा, “भारत ने दिखाया है कि महिलाओं को सशक्तिकरण की कितनी आवश्यकता है और यह बहुत प्रगतिशील है. यहां पुरानी कथाओं के अनुसार सभी मुख्य मंत्रालयों का प्रभार महिलाओं को ही सौंपा गया हैं, जैसे रक्षा मंत्रालय- दुर्गा, वित्त मंत्रालय - लक्ष्मी और शिक्षा मंत्रालय - सरस्वती सम्भालती हैं .

आंतरिक शक्ति, आत्मप्रेम और सजगता के साथ नेतृत्व की भूमिकाओं को संतुलित करना, 10वें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में गूंजता हुआ संदेश था, जिसमें सत्ता, कूटनीति और कला के क्षेत्र से जुड़ी बेहतरीन महिला नेताओं का संगम हुआ.

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लगभग दो दशकों और 10 संस्करणों में, अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन ने 115 देशों से प्रतिष्ठित वक्ताओं और 6,000 प्रतिनिधियों को एकत्रित किया है. इस वर्ष के सम्मेलन में 60 से अधिक वक्ता और 50 से अधिक देशों के 500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं. यह सम्मेलन महिलाओं के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे आत्मचिंतन कर सकती हैं, प्रेरित हो सकती हैं, संवाद कर सकती हैं और अपनी जीवनयात्रा साझा कर सकती हैं.  साथ ही ध्यान, प्राणायाम और योग के माध्यम से अपने भीतर की यात्रा पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं.

इस अवसर पर गुरुदेव के पिताजी के नाम पर प्रतिष्ठित आचार्य रत्नानंद पुरस्कार भी प्रदान किया गये, जिन्होनें अपनी पूरा जीवन मानवता की सेवा, विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए समर्पित किया था. साहस और विपरीत परिस्थितियों में सेवा के लिए यह पुरस्कार लेफ्टिनेंट कर्नल अनिश मोहन को प्रदान किया गया. इसके अलावा पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए श्री अरनब गोस्वामी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावर चंद गेहलोत, केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, पूर्व विदेश मंत्री एवं संस्कृति मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा सूक्ष्म, लघु और मझले उद्योग मंत्री श्रीमती शोभा करंदलाजे, कॉमनवेल्थ की सचिव-जनरल सुश्री पैट्रीशिया स्कॉटलैंड, सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री और सांसद श्रीमती हेमा मालिनी और यूरोपीय संसद की सदस्य श्रीमती मारिया जॉर्जियाना टियोडोरस्कू भी उपस्थित थीं.

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