Premanand Maharaj Tips : शादी होने के एक साल या दो साल में किसी महिला को बच्चे नहीं होते तो आसपास के लोग उसकी मुश्किलें बढ़ाने लगते हैं. ऐसी महिलाओं को अक्सर ताने मारे जाते हैं. लोग अपशब्द बोलने से भी नहीं कतराते हैं. अपनी सेहत और कंसीव न कर पाने की तकलीफ के चलते महिलाएं पहले से ही परेशान रहती हैं. ऊपर से ये ताने उनके हर रोज का दर्द बढ़ाते हैं. लेकिन ऐसी महिलाएं ताने देने वालों से कैसे निपटें. वो अगर पलट कर जवाब देती हैं तो भी लोगों को रास नहीं आता और चुप रहती हैं तो खुद ही घुटने लगती हैं. ऐसी महिलाओं को प्रेमानंद महाराज ने एक खास सीख दी है.
कौन है प्रेमानंद जी महाराज? (Who Is Premanand Ji Maharaj)
प्रेमानंद जी महाराज का नाम अब भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच और धर्म में आस्था रखने वालों के बीच काफी जाना माना है. राधा रानी के भक्त प्रेमानंद जी महाराज अक्सर अपने प्रवचनों में लोगों को जीवन की सीख देते हैं. ताकि आम लोगों की समस्या दूर हो सके और भगवान पर उनका भरोसा हमेशा बना रहे. बच्चों को अच्छे संस्कार देने से लेकर परिवार में सामंजस्य बनाने के विषय पर वो अक्सर प्रवचन देते हैं. इस बार उन्होंने महिला के सवाल पर भी खास सीख दी है.
महिला ने पूछा सवाल
प्रेमानंद जी महाराज की सभा में अक्सर बहुत सारे भक्त शामिल होते हैं. उनमें स्त्री, पुरुष और बच्चों की बड़ी तादाद होती है. ऐसी ही एक सभा में एक महिला ने प्रेमानंद जी महाराज से संतान न होने के विषय पर सवाल पूछा. प्रेमानंद दी महाराज के दरबार में आई महिला बहुत ज्यादा तनाव में थी. उसने जानकारी दी कि उसकी शादी को 12 साल हो चुके हैं. लेकिन अब तक बच्चा नहीं हुआ है. उसने कंसीव भी किया, लेकिन बच्चा नहीं हुआ फिर भी. बार-बार ऐसा होने पर अब लोग उसे ताने मारने लगे हैं. इतना ही नहीं पति की दूसरी शादी की चर्चा भी होने लगी है. आसपास के लोगों की ये बातें और रिश्तेदारों के तानों की वजह से उसका स्ट्रेस बढ़ता जा रहा था.
प्रेमानंद जी महाराज की सलाह
- महिला का दर्द देखकर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि लोग इस तरह की सलाह देते रहेंगे और ताने मारते रहेंगे. लेकिन उन पर ध्यान न दें न ही उनकी सलाह मानें. प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार पूर्व जन्म के कुछ कर्मों के चलते संतान आती है और चली जाती है.
- प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि माता गंगा को भी महाराज शांतनु से पुत्र हुए थे. लेकिन वो स्वयं ही उन्हें गंगा नदी में बहा देती थीं. इस तरह एक एक कर उन्होंने अपने सात पुत्रों को गंगा में प्रवाहित किया था. लेकिन आठवें पुत्र को वो प्रवाहित कर पातीं. उससे पहले ही उन्हें महाराज शांतनु ने रोक लिया. ऐसा होने से वो पुत्र अपने पिछले जन्म के कर्मों से छुटकारा नहीं पा सका. गंगा मां को भी सात जन्मों का फल भुगतना पड़ा था.
- प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार ऐसी घटानाएं हमेशा ही होती रही हैं. अपने पुराने कर्मों को धरती लोक पर काटना ही पड़ता है. इसका सबसे अच्छा तरीका है भगवान का स्मरण करना और भजन करते रहना.
- उन्होंने ये भी कहा कि संतान न होने से बड़ा दुख माता पिता के लिए कोई नहीं हो सकता. पर, इससे उभरने का सबसे अच्छा तरीका है ईश्वर के चरणों में मन लगाए रखना.
- प्रेमानंद जी महाराज ने ये सीख भी दी कि भगवान के चरणों में मन लगाए रखें. भगवान ने चाहा तो वो इस दुख से उभरने का रास्ता भी खुद ही बताएंगे.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.