Parenting Mistakes: बच्चे जैसे-जैसे बढ़े होने लगते हैं वैसे-वैसे मम्मी-पापा की बातें सुनना कम करते जाते हैं. कई बार तो माता-पिता (Parents) यह भी कहने लगते हैं कि बच्चे एक कान से उनकी बातें सुनते हैं और दूसरे से निकाल देते हैं. आलम यह है कि 10 साल से भी कम उम्र के बच्चे अपने पैरेंट्स को नजरअंदाज करना शुरु कर देते हैं. लेकिन, ऐसा होने के पीछे कारण क्या है और क्यों बच्चे ऐसा रवैया अपनाने लगते हैं? असर में कई बार माता-पिता की छोटी-बड़ी गलतियां (Mistakes) बच्चों को इस तरह का बना देती हैं कि वे कहना मानने से इंकार करना शुरू कर देते हैं और बजाय बात मानने के वे मुंह फुलाकर घूमना या माता-पिता की डांट सुनना ज्यादा ठीक समझते हैं.
माता-पिता की इन गलतियों के कारण बच्चे नहीं सुनते बात
ऊंची आवाज में बात करना
कई बार माता-पिता बच्चों से इतनी ऊंची आवाज में बात करना शुरू कर देते हैं कि बच्चों को समझ नहीं आता कि क्या करें. इस नाराजगी या खुद को हमेशा डांट खाने की स्थिति में पाकर बच्चों को लगने लगता है कि बात मानने से बेहतर वे ढीट ही बन जाएं क्योंकि पड़नी तो डांट ही है. एक वक्त ऐसा भी आ जाता है जब बच्चे पैरेंट्स के चिल्लाने (Shouting) के चलते डांट और नॉर्मल बात करने में फर्क ही नहीं कर पाते.
कारण चाहे जो भी हो लेकिन माता-पिता के बच्चे को हर बात पर सुनाते रहने के कारण बच्चे पर असर पड़ता ही है. ऐसे में बच्चे अपने माता-पिता से दूरी बनाने ही लगते हैं साथ ही उनकी बातों को नजरअंदाज भी करते हैं.
अगर पैरेंट्स बच्चे को कोई काम देते हैं और वे उन बातों को सुनकर काम करते हैं तो भी माता-पिता कमियां निकालने से नहीं चूकते. जब बच्चों को हर बात पर ही सुनने को मिलता है तो उन्हें पैरेंट्स की बात ना मानना ही ठीक लगने लगता है.
जिन माता-पिता की आदत (Habit) होती है कि वे बच्चों पर बात-बात पर हाथ उठा देते हैं, उनसे बच्चे अक्सर दूर रहने की ही कोशिश करते हैं. कई बार मार खा-खाकर बच्चे ढीट हो जाते हैं और पैरेंट्स की बात नहीं सुनते.
माता-पिता के तौर पर आपको अपनी इन गलतियों को ठीक करने की जरूरत है. कोशिश करें कि आप अपने बच्चे की जरूरतों और भावनाओं को समझ सकें तब ही वह भी आपको सुनने की कोशिश करेगा. आपका खुदका व्यवहार अगर सही नहीं है तो बच्चे पर अपनी अपेक्षाएं थोपना भी गलत है.