Reasons why Infant Cry: नवजात शिशु की केयर (Infant Care) करना बेहद मुश्किल काम होता है, यह सिर्फ एक मां ही अच्छे से कर सकती है. नवजात के रोने पर मां को सबसे ज्यादा दर्द होता है और वह अपने बच्चे के रोने के कारण को समझने की कोशिश करती है. आमतौर पर नवजात दिन में 2 से 3 घंटे तक रोता है. शिशु के रोने पर मां सिर्फ इसे भूख का कारण समझती है. लेकिन नहीं, शिशु के रोने का सिर्फ भूख ही कारण नहीं होता है, बल्कि कई कारणों से शिशु रो-रोकर अपनी बात समझाने की कोशिश करता है, आइए जानते हैं क्या हैं वो कारण.
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डायपर (Diaper)
आजकल ज्यादातर लोग अपने शिशु को डायपर पहनाकर में रखते हैं और घंटों-घंटों उसे बदलते नही हैं. ऐसे में शिशु का मल और पेशाब से उसे जलन महसूस कराता है और वह रोने लगता है. ऐसे में डायपर को टाइम-टू-टाइम चेक करें. अगर वो गंदा हो चुका है, तो उसे तुरंत बदलें. डायपर हमेशा कंपनी का ही खरीदें.
ओवरफीडिंग (Overfeeding)
मां गोद में शिशु को लेकर बैठ जाती हैं और फिर उसे जरूरत से ज्यादा दूध पिला देती हैं. इससे बच्चे का पेट फूल जाता है और फिर दूध के जल्दी ना पचने से बच्चे को पेट में परेशानी होती है और वो रोने लगता है, क्योंकि बच्चे को अपच की समस्या हो जाती है.
कपड़े (Comfortable Clothes)
शिशु के आराम के लिए यह ध्यान देना होगा कि उसे ज्यादा टाइट कपड़े ना पहनाएं. साथ ही मौसम और रूम के टेंपरेचर के हिसाब से ही बेबी को कपड़े पहनाएं. अगर ऐसा नहीं करते हैं, तो वो अंकफर्टेबल होने की वजह से रोने लगता है. टाइट कपड़ों से बच्चें को रैशेज हो जाते हैं, जिसकी वजह से वह रोने लगता है.
नींद (Sleeping)
शिशु पूरे दिन बिस्तर या पालने में अठखेलियां करता रहता है और फिर थककर सो जाता है. शिशु को दिन में कम सुलाना चाहिए, इससे वो रात में जागेगा नहीं और शांत वातावरण में गहरी नींद ले सकेगा. अगर बच्चा दिन में ज्यादा सो जाता है, तो वह रात भर परेशान होता रहेगा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.