Genius Child Signs : अगर आपका नन्हा शैतान दिनभर उछलता-कूदता रहता है, अलमारी खाली कर देता है या बिना मदद लिए खुद से जूते-कपड़े पहनने की जिद करता है तो इसे सिरदर्द नहीं, सुपर ब्रेन का पहला ट्रेलर समझिए. ये वो ही संकेत हैं जो बताते हैं कि बच्चा बाकी बच्चों से अलग सोचता है, तेजी से सीखता है और आउट ऑफ द बॉक्स माइंड वाला है. कई बार जो हरकतें (Genius toddlers early signs) हमें परेशान करती हैं, असल में वो ही उस छोटे से दिमाग में चल रही बड़ी-बड़ी बातों की झलक (How to know your child genius) होती हैं. हाल ही में @daadi_india_to_america नाम के इंस्टाग्राम हैंडल से माया यादव नाम की यूजर ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने बच्चों में दिखने वाले 3 ऐसे खास संकेत बताए जो साबित कर सकते हैं कि आपका बच्चा एक जीनियस इन मेकिंग (Signs of an intelligent child at early age) है. तो आइए जानते हैं इन तीनों पॉइंट्स के बारें में.
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1. बच्चा अगर एक जगह टिकता नहीं
अगर आपका बच्चा थोड़ा भी शांत नहीं बैठता, लगातार कुछ करता रहता है, इधर-उधर दौड़ता है, कुछ न कुछ छेड़ता रहता है और एक जगह टिककर बैठ नहीं सकता है तो हो सकता है कि वो आपको शरारती लगे लेकिन असल में ये एक्टिवनेस इस बात का संकेत है कि उसका दिमाग बेहद तेजी से काम कर रहा है. ऐसे बच्चों को स्कोल्ड या दबाना नहीं चाहिए. उन्हें खेलने, एक्सप्लोर करने और सीखने के लिए खुला माहौल देना चाहिए.
माइंड का सुपर एक्टिव होना क्यों जरूरी है
- तेज सोचने की क्षमता
- जल्दी चीजें समझने और कनेक्ट करने का हुनर
- बेहतर प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स
2. अगर बच्चा अलमारियां उलट-पुलट करता है
बच्चा अगर अलमारी खोलकर उसमें रखी चीजों को बार-बार निकालकर देखता है, चीजों को छूता है और उलटता-पलटता है या बाहर निकाल देता है तो ये उसकी क्यूरियस नेचर यानी जिज्ञासु प्रवृत्ति को दिखाता है. ऐसे बच्चों को नेगेटिव टोन में न रोकें. उन्हें सेफ ज़ोन में चीजें एक्सप्लोर करने का मौका दें.
जिज्ञासा क्यों जरूरी है
- यहीं से सीखने की भूख शुरू होती है.
- यह बच्चों को गहराई से सोचने और सवाल पूछने के लिए मोटिवेट करती है.
- रिसर्च बताती है कि जिज्ञासु बच्चे बड़े होकर अधिक इनोवेटिव बनते हैं.
3. बच्चा अगर खुद से अपना काम करना चाहे
जब बच्चे अपने छोटे-छोटे काम खुद करने की कोशिश करने लगते हैं, जैसे खुद जूते पहनना, कपड़े तैयार करना या नहाना, तो समझिए कि वो आत्मनिर्भर सोच की ओर बढ़ने लगे हैं. ऐसे बच्चें की हेल्प जरूर करें लेकिन हर बार रोकने-टोकने या डांटने की गलती न करें. उन्हें खुद से करने का मौका दें.
बच्चों के लिए आत्मनिर्भरता क्यों जरूरी
- बच्चा अपने फैसले लेने लगता है.
- खुद की जिम्मेदारी उठाना सीखता है.
- कॉन्फिडेंस बढ़ता है.
पैरेंट्स कहां गलती करते हैं
माया यादव के अनुसार, बच्चे अगर इन तीनों लक्षणों में से कोई भी दिखा रहे हैं, तो पैरेंट्स को समझ जाना चाहिए कि उनमें कुछ खास है, लेकिन कई पैरेंट्स, फैमिली, स्कूल में टीचर अक्सर ऐसी एक्टिविटी को शरारत या बिगड़ापन मानकर उन्हें रोकने लगते हैं या दबा देते हैं. यही गलती कई टैलेंट्स को निखरने से पहले ही रोक देती है.
ऐसे बच्चों को कैसे सपोर्ट करें?
- खुलकर बच्चे को एक्सप्लोर करने दें.
- 'ना' कम कहें, 'कैसे' और 'क्यों' पूछें.
- खेलने और फिजिकल एक्टिविटी का समय जरूर दें.
- हर छोटी बात पर टोकना या डांटना कम करें.
- बार-बार डांटने से बच्चा संकोची हो सकता है.
- दूसरों से तुलना करना बंद करें.
- उनकी गलतियों पर तानों की बजाय उन्हें सही तरह समझाएं.