Parenting Tips : क्या आपके बच्चे का भी हो गया है ब्रेकअप, डांट-फटकार से नहीं इस तरह कम करें उसका दर्द

healthy parenting tips : टीनएज में ब्रेकअप होना नॉर्मल होता है. ऐसी स्थिति में पैरेंट्स बच्चों का कितना भी ख्याल रख लें लेकिन उन्हें दर्द होता ही है. हालांकि इस दर्द से बाहर निकालने में माता-पिता उनकी मदद कर सकते हैं.

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Positive parenting tips : आइए जानते हैं अगर आपके बच्चे का ब्रेकअप होता है तो उसे इस दर्द से किस तरह बाहर निकाल सकते हैं.

Parenting tips : टीनएज एक ऐसी एज होती है, जिसमें दिल टूटना या या ब्रेकअप होना काफी नॉर्मल होता है. लेकिन कई बार पैरेंट्स उन्हें इस हालत में अकेला छोड़ देते हैं और उनकी तकलीफ को नजरअंदाज करने लगते हैं, जो किसी तरह से ठीक नहीं माना जाता है. हाल ही में 20 साल की एक्‍ट्रेस तुनिषा शर्मा की मौत ने हर किसी को झकझोर के रख दिया. तुनीषा की मां ने मांग की है कि बेटी के ब्‍वॉयफ्रेंड शीजान खान को सख्‍त से सख्‍त सजा मिले. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शीजान से तुनीषा से शादी का वादा किया था, लेकिन बाद में यह वादा तोड़ दिया.इसी बात से दुखी होकर तुनीषा ने सुसाइड कर लिया. तुनीषा की खुदकुशी से देशभर में पैरेंट्स अंदर तक हिल गए हैं.उन्हें लगने लगा है कि कहीं उनके बच्चे का ब्रेकअप हुआ तो उसे कैसे दुख से बाहर निकाला जाए. आइए जानते हैं अगर आपके बच्चे का ब्रेकअप होता है तो उसे इस दर्द से किस तरह बाहर निकाल सकते हैं.

बच्चे का टूटे दिल तो क्या करें पैरेंट्स

अगर आपके बच्चे का दिल टूट जाता है या उसका ब्रेकअप हो जाता है तो उसके दर्द को कम करने के लिए उस दर्द से लड़ने में उसकी मदद करें. उसे सपोर्ट करें और जितनी हो सके इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद करें. 

बच्चे को अकेले में समय बिताने दें

जब बच्चा इन परिस्थितियों से गुजरे और कुछ समय खुद के साथ बिताना चाहे तो उसे अकेला छोड़ना चाहिए. उससे यह जरूर कहें कि जब भी बात करना चाहे, आप उसके पास ही हैं. इससे बच्‍चे के मन को तसल्‍ली होगी कि उसका कोई अपना उसके साथ है. उसे यह भी सिखाने की कोशिश करें कि सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से अपने एक्स को फॉलो करना ठीक नहीं है.

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ऐसा तो कतई न करें

बच्चे का ब्रेकअप हो और आप उसे ब्रेकअप की कहानियां सुनाने लगें, यह कहीं से उचित नहीं है. इससे बचने की कोशिश करें. उससे कतई यह न कहें कि इस उम्र में तो यह नॉर्मल होता है. क्योंकि यह ऐसी स्थिति होती है, जब कोई भी इंसान कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होता है. इसलिए कभी भी बच्चे के दर्द को कम आंकने की कोशिश न करें और ना ही अनदेखा करें.

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कब लेनी चाहिए एक्सपर्ट की मदद

अब सबसे बड़ा सवाल कि क्या एक्सपर्ट की मदद भी लेनी चाहिए तो इसका जवाब है कि अगर आपका बच्‍चा दर्द से उबरने में दो हफ्ते से ज्‍यादा का समय ले रहा है तो बिना देरी किए एक्सपर्ट की मदद लें. बच्चा हमेशा अपनी जिंदगी के अनुभव से ही सीखेगा, आप कितना भी सीखा लें, इसका असर नहीं होगा. इसलिए जब भी वह इस दर्द से गुजरे तो उसे प्यार और सपोर्ट दें. 

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