New Health Study On Children: आज के हाई टेक्नोलॉजी फेज में बच्चे डेवलेपमेंट और उनकी पढ़ाई को बड़ा नुकसान हो रहा है. स्मार्टफोन ने बच्चों (Smartphone and Kids) का बचपन छीन लिया है. स्कूल से आने के बाद बच्चे सबसे पहले पेरेंट्स का फोन ढूंढते हैं और फिर कार्टून लगाकर बैठ जाते हैं. मोबाइल स्क्रीनिंग (Mobile Screening for Kids) से बच्चें की आंख और ब्रेन पर बुरा असर पड़ा रहा है. अब नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि गैजेट्स से बच्चों की स्किल पर बात आ गई है. बच्चे का कॉन्फिडेंस और पब्लिक स्पीकिंग स्किल में कमी होने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई का नुकसान भी हो रहा है. स्टडी की मानें तो स्क्रीनिंग से बच्चे की पढ़ने की क्षमता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है.
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400 से ज्यादा बच्चों पर हुई रिसर्च (Research on more than 400 children)
वैज्ञानिकों की टीम की एक रिसर्च ने इस बात को साबित कर दिया है. इस टीम ने 400 से ज्यादा बच्चों पर इस रिसर्च को तैयार किया है. उन्होंने रिसर्च में बच्चों और इनके पेरेंट्स के स्क्रीन टाइम, लैंग्वेज स्किल्स पर सर्वे किया है. इस स्टडी में बहुत चौंकाने वाली बात सामने आई है. वो यह है कि बच्चे की स्क्रिनिंग टाइम उनके पेरेंट्स की वजह से बढ़ रही है. स्टडी में खुलासा हुआ है कि पेरेंट्स की देखा-देखी बच्चे भी मोबाइल फोन में बिजी हैं.
पेरेंट्स की वजह से बिगड़े बच्चे (Parents spoiled their Children)
वहीं, रिसर्च में खुलासा हुआ कि कम स्क्रीनिंग से बच्चे की ग्रामर और वोकैबलरी स्किल काफी अच्छी थी. वो इसलिए क्योंकि पेरेंट्स फोन का कम इस्तेमाल कर बच्चों से घुलते मिलते थे और इससे बच्चे नए-नए शब्द बोलना सीखते थे. अब पेरेंट्स भी बच्चों की तरह फोन में घुसे रहते हैं और इससे बच्चों की भाषा और शब्दावली पर बुरा असर पड़ रहा है. वहीं, वीडियो गेम की वजह से भी बच्चों की लैंग्वेज पर बड़ा बुरा असर पड़ा. इस संबंध में आईं कई रिसर्च से यह बात साबित हुई है कि स्क्रीनिंग ने बच्चों के डेवलेपमेंट पर बुरा असर छोड़ा है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल बच्चों में क्रिएटिविटी में कमी और उन्हें सोशल होने से रोक रहा है.
करें ये उपाय (Solutions for this Problem)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे पार पाने के उपाय कुछ इस प्रकार हैं.
- पहले पेरेंट्स अपना स्क्रीन टाइम कम करें
-पेरेंट्स बच्चों के सामने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें.
- बच्चों को आउडोर गेम्स, स्टडी और सोशल एक्टिविटिज में शामिल करें.
-बच्चों के पड़ोस के बच्चों से घुलने-मिलने दें.
- फिजिकल एक्टिविटी और खेल को बच्चे के रूटीन में शामिल करें.