जापा कितने दिन का होता है? जच्चे को खाने में क्या देना चाहिए, जान‍िए यहां हर सवाल का जवाब

जापा कितने दिन का होता है? मां बनने के बाद जापा करीब 40 द‍िन का होता है. इसमें नई मां को क्‍या खाना चाह‍िए और क‍िन बातों का ध्‍यान रखना चाह‍िए जान‍िए यहां पर.

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डिलीवरी के बाद मां की क्या देखभाल होती है?

japan me maa ko kya khaye : बच्चे के जन्म के बाद मां का जापा का समय शुरू हो जाता है. जापा क‍ितने द‍िन का होता है और मां को क्‍या खाना चाह‍िए, कई ऐसे सवाल हैं जो हर नई मां जानना चाहती है. सच तो ये है क‍ि जापा के समय कुछ बातों का व‍िशेष ध्‍यान रखना होता है. ताक‍ि जच्‍चा और बच्‍चा दोनों ठीक रहे. दरअसल बच्‍चे की ड‍िलीवरी के बाद ही शरीर में हार्मोन और इमोशंस में कई बदलाव भी आते हैं. ऐसे में डिलीवरी के बाद पहले 40 दिन के जापा बेहद अहम होते हैं. इस समय सही देखभाल, सही खानपान और सही आराम बहुत जरूरी है. नई मांओं के लिए आसान और असरदार पोस्ट-डिलीवरी केयर बातें हैं, ज‍िन्‍हें हर मां को जानना चाह‍िए. 

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जापा कितने दिन का होता है?


जापा का समय आमतौर पर 40 दिन का माना गया है. इस दौरान महिला को आराम करने और विशेष देखभाल की बेहद जरूरत होती है. इस समय में प्रसव के बाद होने वाली शारीरिक प्रक्रियाओं जैसे रक्तस्राव और अन्‍य शारीर‍िक बदलाव में समय लगता है. 

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जच्चे को खाने में क्या देना चाहिए?


जच्चा यानी मां को प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, फाइबर और विटामिन से भरपूर पौष्टिक और संतुलित भोजन खाना चाह‍िए. इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, ओट्स, फल, सूखे मेवे (जैसे बादाम), दूध और अंडे वगैरह दे सकते हैं. पाचन के लिए हल्का और पचने योग्‍य भोजन दें. वहीं कब्ज पैदा करने वाली चीजों से बचें.   
Normal birth में क्या क्या खा सकते हैं?

Normal birth में क्या क्या खा सकते हैं?

नॉर्मल डिलीवरी के लिए पौष्टिक भोजन लेना बहुत जरूरी है. इसमें हरी सब्जियां, फलियां, दालें, साबुत अनाज, ताजे फल और प्रोटीन युक्त भोजन शामिल हैं. आप अपनी डाइट में घिया, तोरी, पालक, ब्रोकली, शकरकंद, केला, अंडे, चिकन और मछली वगैरह खा सकते हैं. इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं.  नारियल पानी या जूस पिएं और प्रसव के दौरान सहनशक्ति के लिए खजूर भी खा सकती हैं. 

जापा में नई मां को इन बातों का रखना चाह‍िए खास ख्‍याल 

1. खूब पानी पिएं (Stay Hydrated)

डिलीवरी के बाद शरीर के अंदर बहुत बदलाव होते हैं और शरीर को रिकवरी के लिए पानी की जरूरत रहती है. हर दिन कम से कम 3 लीटर पानी पिएं. इसमें 2 लीटर सादा पानी और 1 लीटर अजवाइन या जीरा या फिर सौंफ उबाला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए. इससे पाचन सुधरता है. गैस, पेट फूलना और दर्द कम होता है और बच्चे के लिए ब्रेस्ट मिल्क बनाने में मदद मिलती है.

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2. दो महीने तक बेल्ट जरूर पहनें (Use a Postpartum Belt for 2 Months)

चाहे नॉर्मल डिलीवरी हुई हो या सी-सेक्शन, पेट को अपनी जगह वापस आने के लिए सपोर्ट की जरूरत होती है. पोस्टपार्टम बेल्ट पेट की मांसपेशियों को मजबूत करती है, पीठ दर्द कम करती है और शरीर को सही शेप में वापिस लाती है. हालांकि, बिना डॉक्टर की सलाह के इसे नहीं पहनना चाहिए.

3. डिलीवरी के बाद 40 दिन का डाइट प्लान (40-Day Diet Plan After Delivery)

नई मां का खाना हल्का, पौष्टिक और गर्म होना चाहिए. सुबह खाली पेट गुनगुना पानी अजवाइन या जीरा के साथ लेना चाहिए. 1 खजूर या 2 भीगे हुए बादाम जरूर खाएं. ब्रेकफास्ट 8:30 से 9:00 बजे तक कर लें. इसमें मूंग दाल चीला, घी में बना सब्जियों वाला उपमा, 1 गिलास गुनगुना दूध, चाहें तो हल्दी या बादाम मिला सकती हैं. पपीता, सेब या नाशपाती खा सकती हैं लेकिन अगर एसिडिटी हो तो खट्टे फल कुछ दिन अवॉयड करें.

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दिन में क्या खाएं (What to Eat During the Day):

मिड-मॉर्निंग स्नैक कम से कम सुबह 11 बजे तक जरूर कर लें. इसमें घी में भुना मखाना या घर की बनी पंजीरी लें. अजवाइन या सौंफ या फिर अदरक वाली हर्बल टी पिएं. बाकी दिन में दाल-चावल, मौसमी सब्जियां, रोटी, घी हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं.

4. मालिश जरूर कराएं (Get a Regular Body Massage)

नई मां के शरीर में कमजोरी, दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव होता है, इसलिए पूरे शरीर की मालिश बेहद फायदेमंद होती है. इससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है, शरीर में गर्माहट रहती है, जोड़ों का दर्द कम होता है, मन शांत और नींद बेहतर आती है.

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5. रोज नहाना न भूलें (Don't Skip Daily Bath)

डिलीवरी के बाद इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए रोज गुनगुने पानी से नहाएं. जहां टांके लगे हों, वहां सफाई पर खास ध्यान देकर कपड़ा या पैड बदलते रहें. साफ-सफाई मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए जरूरी है.

6. सप्लीमेंट लेना बंद न करें (Don't Stop Taking Supplements)

डॉक्टर के बताए आयरन, कैल्शियम, मल्टीविटामिन, विटामिन D या B12 को 3 महीने तक नियमित लें. इससे खून की कमी नहीं होगी, हड्डियां मजबूत रहेंगी और शरीर जल्दी ठीक होगा. पहले डेढ़ महीने में आराम सबसे ज्यादा जरूरी है. इस दौरान नई मां को ज्यादा काम नहीं करना चाहिए, लंबे समय तक खड़े होने से बचना चाहिए, फैमिली का सपोर्ट जरूरी है. ध्यान रखें कि जितना आराम करेंगी, उतनी ही जल्दी रिकवरी होगी.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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