International Chess Day 2025: दिमाग तेज करने वाले खेलों में शतरंज की गिनती होती है. शतरंज सिर्फ एक बोर्ड गेम ही नहीं है बल्कि इसमें रणनीति की जरूरत होती है, तर्कशक्ति और इंटेलेक्चुअल थिंकिंग का होना जरूरी है और साथ ही इसमें डिसिप्लिन भी मायने रखता है. हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को शतरंज खेलने के लिए प्रोत्साहित करना, मेंटल डेवलपमेंट के लिए और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए चेस (Chess) को प्रोमोट करना है. शतरंज भारत जब खेला जाना शुरू हुआ था तब इसे चतुरंग कहकर पुकारा जाता था. आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस से जुड़ी कुछ जरूरी बातें और रोजाना शतरंज खेलने के फायदों के बारें में.
शतरंज दिवस का इतिहास और थीम 2025 | International Chess Day 2025 History And Theme
20 जुलाई, 1924 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ चेस की सालगिरह को सेलिब्रेट करते हुए इंटरनेशनल चेस डे मनाने की शुरुआत की गई. इस दिन को वैश्विक तौर पर साल 1966 में पहचान मिली. चेस की हर साल के हिसाब से कोई अलग थीम नहीं है बल्कि इसका एक ही मोटो (Motto) है, 'चेस इज फॉर एवरीवन' यानी शतरंज सबके लिए है.
चेस को जिमनेजियम ऑफ द माइंड कहा जाता है. इससे लॉजिकल रीजनिंग बढ़ती है और प्रोब्लम सोल्विंग स्किल्स आती हैं. कहा जाता है कि शतरंज खेलेते हुए डिसीजन मेकिंग स्किल्स बढ़ती हैं जोकि हाई IQ वाले लोगों में ही देखने को मिलती हैं. ऐसे में कोग्निटिव स्किल्स बढ़ने को हायर IQ (Higher IQ) के रूप में देखा जाता है. इसीलिए जो लोग शतरंज खेलते हैं उनका IQ आमतौर पर ज्यादा होता है.
- रोजाना शतरंज खेलने पर याद्दाश्त तेज (Sharp Memory) होती है. इससे पैटर्न्स और मूव्स याद करने आसान हो जाते हैं.
- ध्यानकेंद्रित करने की क्षमता यानी कन्संट्रेशन में इजाफा होता है.
- प्रॉब्लम सोल्विंग स्किल बढ़ती है, लॉजिकल थिंकिंग बढ़ती है और मुश्किलों का हल निकालना आसान हो जाता है.
- क्रिएटिविटी बढ़ती है और बने-बनाए पैमानों से बाहर तक सोचना आने लगता है.
- बच्चों की ब्रेन डेवलपमेंट में शतरंज खेलने पर फायदा मिलता है.