Parenting Advice: बचपन में बच्चों की पूरी दुनिया अपने माता-पिता के इर्द-गिर्द घूमती है. लेकिन, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे पैरेंट्स से दूरी गहराने लगती है. माता-पिता के लिए यह समय मुश्किलों वाला होता है क्योंकि बच्चों में इतने शारीरिक और मानसिक बदलाव नजर आने लगते हैं कि समझना मुश्किल हो जाता है कि उनसे कब क्या कहना चाहिए और क्या नहीं. इससे पैरेंट्स और बच्चों की आपसी बोंडिंग भी कम होने लगती है. अगर आप भी टीनेजर बच्चों (Teenagers) के माता-पिता हैं तो इस स्थिति को बेहतर तरह से समझते होंगे. यहां ऐसे ही कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जिन्हें ध्यान में रखकर आप बच्चों के साथ अपनी बोंडिंग बढ़ा सकते हैं. इससे बढ़ती उम्र के बच्चे आपसे दूर नहीं होंगे.
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टीनेजर बच्चों से कैसे करें बोंडिंग | How To Bond With Teenagers
सुनने की कोशिश करेंटीनेज ऐसी उम्र होती है जब बच्चों के पास कहने के लिए बहुत कुछ होता है लेकिन वे हर बात मन में दबाकर रखने की कोशिश करते हैं. अगर पैरेंट्स बच्चों को सचमुच सुनने और समझने की कोशिश करते हैं तो बच्चे माता-पिता (Parents) से खुलकर बात करना शुरू करते हैं. इस उम्र में बच्चों के मन में बहुत से सवाल भी होते हैं जिन्हें वे माता-पिता से तभी पूछने की हिम्मत करते हैं जब उन्हें यह लगता है कि पैरेंट्स उनकी बात सुनेंगे और समझने का प्रयास करेंगे.
बचपन में बच्चे मम्मी-पापा की गोद से दूर नहीं रहते लेकिन बड़े होते-होते चीजें बदलने लगती हैं. टीनेज में आने के बाद बच्चों से माता-पिता को दूरी गहराने नहीं देनी चाहिए. इस उम्र में बच्चे जरूर झिझकने लगते हैं लेकिन आप उन्हें अपना प्यार जताने से ना झिझकें. इससे बच्चे आपके साथ करीबी महसूस करते हैं और खुद भी अपनी भावनाओं को छुपाने से कतराते नहीं हैं.
अक्सर ही बच्चे बड़े होते जाते हैं तो पैरेंट्स उनकी जिंदगी में रुचि लेना कम करने लगते हैं. स्कूल में क्या हो रहा है, कौनसा नया प्रोजेक्ट चल रहा है, बच्चे क्या देख और सुन रहे हैं, कहीं किसी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं या नहीं इन सभी चीजों से पैरेंट्स खासा अनजान रहने लगते हैं. लेकिन, पैरेंट्स के लिए बच्चों के कामों में पहले की तरह ही इंट्रेस्ट दिखाना जरूरी होता है.
बचपन में बच्चे शायद आपके तंज या ताने (Taunts) ना समझ पाते हों, लेकिन बड़े होते हुए उन्हें यह सभी ताने और कड़वी बातें समझ आने लगती हैं और वे मन ही मन पैरेंट्स से दूरी बनाने लगते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को अपने शब्दों पर संयम रखने की जरूरत होती है. खासकर बच्चा किस तरह का दिख रहा है, कैसे खुद को कैरी करता है, कैसे तैयार होता है इन सभी चीजों पर कुछ भी बुरा कहने से पहले सोच लेना चाहिए. ये बातें बच्चे के मन को चोट पहुंचाती हैं.
टीनेजर बच्चों के साथ प्लान बनाने से आपकी बोंडिंग उनसे बेहतर होने लगेगी. बच्चों की पसंद की जगह पर जाया जा सकता है, कभी फिल्म देखने, पार्क घूमने, किसी पिकनिक स्पॉट पर, किसी रेस्टोरेंट या कैफे और दूर तक की ट्रिप का भी प्लान बनाया जा सकता है.