Himalayan Pink Salt: नमक न सिर्फ स्वाद बल्कि सेहत के लिए भी जरूरी है. लेकिन आजकल हर हेल्थ कॉन्शियस इंसान अपने किचन से सिंपल नमक हटाकर हिमालयन पिंक सॉल्ट इस्तेमाल कर रहा है, बिना जाने कि ये उसके शरीर के लिए फायदेमंद है या नहीं. अगर आप भी ऐसा ही कर रहे हैं तो सावधान (Side effects of replacing table salt with himalayan salt) हो जाएं. क्योंकि ये नेचुरल, मिनरल्स से भरपूर और डिटॉक्स गुणों वाला नमक आपके शरीर में आयोडिन (Does pink salt cause iodine deficiency) की कमी कर सकता है. हाल ही में वायरल हुए एक डॉक्टर के वीडियो ने इस ट्रेंड के पीछे छिपे खतरे के बारे में बताया है और इसे खाने वालों को वॉर्निंग (Doctor warning about himalayan pink salt) दी है. आइए जानते हैं क्या है चेतावनी और हिमालयन नमक आपके लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है.
हिमालयन पिंक सॉल्ट क्या है (What is Himalayan Pink Salt)
हिमालयन पिंक सॉल्ट को ही सेंधा नमक भी कहा जाता है. यह दिखने में गुलाबी होता है. इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और मैग्नेशियम की काफी कम मात्रा होती है. रेगुलर टेबल सॉल्ट की तुलना में इसमें कम सोडियम पाया जाता है. इसका टेस्ट ट्रेडिशनल टेबल सॉल्ट से कम नमकीन होता है लेकिन थोड़ा मीठा होता है, जिससे केक और कुकीज बनाने में ज्यादा इस्तेमाल होता है.
क्या हिमालयन नमक से हो रही आयोडीन की कमी (Himalayan salt and Iodine Deficiency)
हाल ही में इंस्टाग्राम पर वायरल हुए एक वीडियो में, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. अली काजेमी ने एक अहम मुद्दा उठाया. उन्होंने बताया कि भारत में आयोडीन की कमी के मामले अचानक बढ़ रहे हैं. इसके पीछे की एक बड़ी वजह है हिमालयन नमक या सी सॉल्ट का ज्यादा इस्तेमाल, जिसमें आयोडीन नहीं होता है. डॉ. काजेमी ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'क्या आप जानते हैं कि एक समय में लगभग खत्म हो चुकी आयोडीन की कमी, अब फिर से उभर रही है और इसका कारण हिमालयन नमक या सी सॉल्ट का ट्रेंड है.'
आयोडीन क्यों है इतना जरूरी (Why is Iodine Important)
डॉ. काजेमी बताते हैं कि आयोडीन हमारे शरीर के लिए एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है. खासकर थायरॉइड ग्रंथि की सेहत, प्रेग्नेंसी में भ्रूण के दिमागी ग्रोथ और बच्चों में मेंटल और फिजिकल ग्रोथ के लिए ये बेहद जरूरी होता है.
WHO की रिपोर्ट भी देती है चेतावनी
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन(WHO) की एक स्टडी में, जिसमें भारत, चीन, जर्मनी, इटली, मलेशिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों के 20,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया, यह पाया गया कि आयोडीन सप्लिमेंटेशन से आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों और मृत्यु दर (Mortality Rate) में भारी कमी देखी गई.
टेबल सॉल्ट और पिंक सॉल्ट में क्या अंतर है?
1. टेबल सॉल्ट में आयोडीन अक्सर मिलाया जाता है, जबकि हिमालयन पिंक सॉल्ट में नेचुरल तौर पर ही नहीं होता है.
2. टेबल सॉल्ट में मिनरल्स कम होते हैं लेकिन पिंक सॉल्ट में 80 से ज्यादा ट्रेस मिनरल्स होते हैं लेकिन काफी कम मात्रा में.
3. टेबल सॉल्ट स्वाद में तेज होता है, जबकि पिंक सॉल्ट हल्का.
4. थायरॉइड से जुड़ी बीमारियों से बचाव में टेबल सॉल्ट फायदेमंद होता है, जबकि हिमालयन पिंक सॉल्ट का असर सीमित है. इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी कम ही हैं.
आयोडीन से भरपूर नमक और फूड्स
डॉ. काजेमी और WHO दोनों ही आयोडीन की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए कुछ चीजों को खाने की सलाह देते हैं. इनमें आयोडाइज्ड टेबल सॉल्ट, समुद्री मछली, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही और पनीर, समुद्री वनस्पति (सीवीड) शामिल हैं.
पिंक सॉल्ट अच्छा है लेकिन सावधानी जरूरी
कई एक्सपर्ट्स के अनुसार, हिमालयन नमक, रिफाइंड टेबल सॉल्ट की तुलना में कुछ मामलों में बेहतर हो सकता है लेकिन अगर आप पूरी तरह से टेबल सॉल्ट को हटाकर सिर्फ पिंक सॉल्ट ले रहे हैं, तो आयोडीन की कमी का खतरा बढ़ सकता है, जो आगे चलकर थायरॉइड, गॉइटर या हॉर्मोनल समस्याओं का कारण बन सकता है.