Stress Affect Men: भारत में कम उम्र में हार्ट अटैक और तनाव से हुई मौतों का सिलसिला तेजी से बढ़ा है. देखा जा रहा है कि कम उम्र में लोगों का दिल कमजोर पड़ रहा है. हाल ही में अभिनेता और बिग बॉस 13 के विनर सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से निधन हो गया, जिसके बाद कम उम्र में हार्ट अटैक और तनाव को लेकर नई बहस ने जन्म ले लिया. ये बात आगे बढ़ती उससे पहले ही 'द लैंसेट' की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आ गई, जिसके मुताबिक दुनियाभर में 30 साल पहले महिलाएं ज्यादा टेंशन लेती थीं, लेकिन अब पुरुषों की संख्या ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में 120 करोड़ लोग तनाव यानी टेंशन या हाइपरटेंशन की समस्या से जूझ रहे हैं.
New Study: द लैंसेट की रिपोर्ट में पुरुषों के बढ़ते तनाव का जिक्र
द लैंसेट की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
द लैंसेट की रिपोर्ट की मानें तो बीते 30 वर्षों में तनाव से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. करीब 200 देशों के लोगों का 1990 से 2019 तक हाइपरटेंशन की समस्या का विश्लेषण किया है. बताया जा रहा है कि दुनियाभर में साल 1990 में 33.10 करोड़ महिलाओं के साथ-साथ 31.70 करोड़ पुरुष हाइपरटेंशन से ग्रस्त हैं. देखा जाये तो 30 साल पहले तक महिलाएं ज्यादा टेंशन लेती थीं, लेकिन अब पुरुषों की बढ़ती संख्या ने तनाव का दायरा बढ़ा दिया है. रिपोर्ट में 30 से लेकर 79 साल तक के लोगों की आबादी को शामिल किया गया है. ये रिपोर्ट इन लोगों की ब्लड प्रेशर संबंधी डेटा के आधार पर तैयार की गई है. तनाव को लेकर यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई सबसे बड़ी स्टडी है.
भारत समेत इन देशों के नाम शामिल
द लैंसेट (The Lancet) की यह रिपोर्ट 1990 से 2019 के बीच बनी 1201 स्टडीज के विश्लेषण के आधार पर बनाई गई है. इनमें कई देशों के लोग हद से ज्यादा तनाव लेते हैं. इस सूची में दक्षिण एशिया, ओसीएनिया, दक्षिणी अफ्रीका, मध्य और पूर्वी यूरोप के साथ-साथ कुछ लैटिन और कैरिबियन देश भी शामिल हैं. बता दें कि इसी सूची में भारत का नाम भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा और पेरू में पुरुष और महिलाएं टेंशन कम लेते हैं. इसी तरह, जापान, स्विट्जरलैंड, स्पेन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और इंग्लैंड में महिलाएं कम टेंशन लेती हैं. वहीं, इसके मुकाबले सोलोमन आइलैंड्स, बांग्लादेश, इथियोपिया और एरिट्रिया में पुरुष कम टेंशन लेते हैं.
New Study: पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा तनाव
इन देशों ने इलाज में किया बदलाव
साल 1990 के बाद से अब तक दुनियाभर के देशों में हाइपरटेंशन के इलाज में काफी परिवर्तन देखने को मिला है. इनमें सबसे ज्यादा परिवर्तन ओसिएनिया और अफ्रीकन देशों में देखने को मिला है. अगर बात अमीर देशों की कि जाये तो इनमें सबसे ज्यादा असर मध्य यूरोपीय देशों में देखने को मिला है. इसी क्रम में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, चिली, कोस्टा रिका, ताइवान, कजाकिस्तान, तुर्की और इरान ने भी टेंशन से जुड़े ट्रीटमेंट में कई बदलाव किये हैं.