इस मुश्किल दौर में बेटी को खुद करनी होगी अपनी सुरक्षा, ऐसे में हर मां अपनी बिटिया रानी को ये 5 चीजें जरूर सिखाएं

बेटी की सुरक्षा का जिम्मा किसी और के बारे में देने की सोचना या किसी और के भरोसे उन्हें सुरक्षित मान लेना ही गलत होगा. इससे बेहतर है कि अपनी बेटी को हर खुद सेल्फ डिफेंस के कुछ गुर सिखाए.

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Self Defence: महिलाओँ के मामले में अब अपराध तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं और रजिस्टर भी हो रहे हैं. ऐसे हालात में बेटी की सुरक्षा का जिम्मा किसी और के बारे में देने की सोचना या किसी और के भरोसे उन्हें सुरक्षित मान लेना ही गलत होगा. इससे बेहतर है कि अपनी बेटी को हर खुद सेल्फ डिफेंस के कुछ गुर सिखाए. ये ध्यान रखना जरूरी है कि सेल्फ डिफेंस का मतलब सिर्फ ये नहीं होता कि बेटियों को जूडो, कराटे सिखाएं या फिर पेपर स्प्रे जैसी चीजें उनके पास रखवा दे. उन्हें मेंटली भी स्ट्रॉंन्ग बनाना जरूरी है ताकि वो खुद को सेफ रखने का कॉन्फिडेंस खुद में डेवलप कर सकें. सबसे पहले तो उन्हें अपने आसपास मंडरा रहे खतरे को भांपने की सीख दें और फिर किस तरह समझदारी से रिएक्ट करना है वो भी सिखाएं.

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सेल्फ डिफेंस के गुर | Self Defence technique for Girls

खतरा भांपने के बाद क्या करें?

अगर बेटी खतरा भांप ले तो उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए. ये सीख जरूर दें. अपनी बेटी को बताएं कि उसे घबराने की जगह इमरजेंसी नंबर पर कॉल करना चाहिए. उसे वो सारे नंबर की लिस्ट तो दे हीं साथ ही उन सारे नंबर्स को याद भी करवाएं जो उसे सबसे पहले लगाने हैं, और जहां से उसे मदद मिल सकती है.

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बाउंड्री का अहसास करवाएं

अक्सर बच्चियां ये तय नहीं कर पातीं कि वो किस से किस लेवल तक डिस्टेंस मेंटन करे और किसी के कितना करीब जाएं. इसका फायदा भी कई लोग उठाते हैं और कई लोग गलत समझ कर आगे बढ़ते हैं. इसलिए बच्चियों को कम एज से ही बताएं कि किसी से भी बात करने का सेफ डिस्टेंस क्या है. और उन्हें टचिंग और टॉकिंग की किस बाउंड्री को क्रॉस नहीं होने देना है.

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मार्शल आर्ट भी सिखाएं

प्रेजेंस ऑफ माइंड सबसे ज्यादा जरूरी है. उसके साथ ही फिजिकली भी खुद को सेफ रखना आना जरूरी है. इसलिए बेटियों को साथ में कोई न कोई मार्शल आर्ट्स में भी निपुण बनाएं ताकि वो जरूरत पड़ने पर खुद की रक्षा कर सके.

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भरोसेमंद बनें, हर बात शेयर करें

हर मां को ये कोशिश जरूर करनी चाहिए कि वो अपनी बेटियों के लिए वो इतनी भरोसेमंद हों कि बेटियां उनसे हर बात शेयर करें. बेटी को ये समझाएं कि उसे कोई भी बात छुपानी नहीं है. बल्कि वो हर बात बेखौफ होकर मां के साथ शेयर करे.

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संभावित खतरों के प्रति करें अवेयर

मांओं का चाहिए कि वो बेटियों को संभावित खतरों के प्रति भी आगाह करें. उन्हें ये बताएं कि जरूरी नहीं कि अजनबी ही खतरा बने अक्सर करीबी ही मुश्किलें बढ़ाते हैं. ऐसे करीबियों को कैसे पहचानना है ये समझाएं और उनसे दूरी बनाने के बारे में भी बताएं. बेटी को ये बताएं कि शोषण सहना उसकी मजबूरी नहीं है. बल्कि उसके प्रति सचेत रहना और सही समय पर उसे शेयर करना सबसे ज्यादा जरूरी है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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